प्राइवेट अस्पतालों ने डिलिवरी में पैसा कमाने के लिए बेवजह 9 लाख ऑपरेशन किए

आईआईएम अहमदाबाद की एक रिपोर्ट ने देश में चल रहे प्राईवेट अस्पतालों की पोल खोलकर रख दी है. इस रिपोर्ट में सामने आया कि अस्पतालों ने पैसा कमाने के मकसद से नॉर्मल प्रसव को भी ऑपरेशन (सी-सेक्शन) के जरिये किए. रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले एक साल में देश में 70 लाख ऑपरेशन में 9 लाख सिर्फ पैसा कमाने के लिए हुए.

भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद ने देश भर में प्रसूती पर एक अध्यन किया जिसे ‘टू मच केयर’ का नाम दिया गया. इस रिपोर्ट से सामने आया कि जिन शिशुओं के चिकित्सीय रूप का जन्म सी-सेक्शन के जरिए हुआ उन शिशुओं को स्तनपान कराने में देरी हुई.

साथ ही इन शिशु का वजन कम हुआ और इन्हें सांस लेने में भी तकलीफ हुई. इसके साथ ही लोगों की जेब पर अतिरिक्त बोझ भी पड़ा. आईआईएम अहमदाबाद के फैकल्टी सदस्य अंबरीश डोंगरे और छात्र मितुल सुराना ने अध्यन करने के बाद इस रिपोर्ट को तैयार किया.

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इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जो महिलाएं प्रसव के लिए प्राइवेट अस्पतालों का चयन करती है, सरकारी अस्पतालों के मुकाबले बिना किसी योजना के सी-सेक्शन से बच्चे को जन्म देने की आशंका 13.5 से 14 फीसदी अधिक होती है.

आईआईएम अहमदाबाद का यह अध्यन 2015-16 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य (एनएफएचएस) सर्वेक्षण पर आधारित है. साथ ही रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि प्राइवेट अस्पतालों में 40.9 फीसदी प्रसव सी-सेक्शन के जरिए कराए गए. वहीं सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 11.9 फीसदी प्रसव ही ऑपरेशन के जरिए हुए.

रिपोर्ट में सामने आया कि एक सामान्य प्रसव पर 10,814 रुपए औसत खर्च होता है जबकि सी-सेक्शन के प्रसव पर 23,978 रुपए औसत खर्च होता है. साथ ही ज्यादातर निजी अस्पतालों में सी-सेक्शन के जरिए नवजातों का जन्म कराने की मुख्य वजह अधिक पैसा कमाना रहा.

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