अमेठी: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा रविवार को अमेठी में भाजपा से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पर जमकर बरसीं। मीडिया से बातचीत में प्रियंका ने सवाल दागते हुए कहा कि राष्ट्रवाद क्या होता है? फिर खुद ही जवाब देकर बताया कि राष्ट्रवाद देश की भक्ति होती है। फिर उन्होंने सवाल किया कि देश क्या है? और खुद ही कहा कि जनता ही देश है। प्रियंका आज अपने भाई कांग्रेस अध्यक्ष राहुल के किले को मजबूत करने यहां पहुंचीं और अमेठी के कई गांवों का दौरा किया।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका अपने अमेठी दौरे में काफी आक्रमक तेवर में रहीं। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रवाद पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुझे समझ नहीं आता कि इनका किस तरह का राष्ट्रवाद है। जब जनता आवाज उठाती है तो आप सुनने को तैयार नहीं हैं। यह किस तरह का राष्ट्रवाद है? जब हजारों किसान नंगे पैर पूरे देश भर से आपके दरवाजे तक आए तो आपने उनकी बात नहीं सुनी। यह किस तरह का राष्ट्रवाद है? जहां गरीबों की सुनवाई नहीं है, जहां नवजवानों से झूठे-झूठे वादे किये जाते हैं। उन्होंने कहा कि मेरी नजर में जनता की समस्याएं हल करना ही है असली राष्ट्रवाद है।
प्रधानमंत्री को लेकर किए गए सवाल के जवाब में प्रियंका ने कहा कि मुझे आज तक नहीं मालूम कि प्रधानमंत्री कौन सी जाति के हैं। मेरे ख्याल से विपक्ष ने कभी इस तरीके से बात भी नहीं की। विपक्ष ख़ास तौर पर कांग्रेस के नेता सिर्फ विकास के मुद्दे उठा रहे हैं। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि हमने इनके बारे में कभी कोई व्यक्तिगत आलोचना नहीं की। स्मृति ईरानी को लेकर हुए सवाल पर प्रियंका हमलावर मुद्रा में दिखीं। उन्होंने कहा कि वो पूरे पांच साल में 16 बार आई हैं लेकिन आज तक उन्होंने पूरी अमेठी नहीं घूमी हैं। चार पांच घंटों के लिए आती हैं। अपने साथ मीडिया लाकर वो कभी जूतों का वितरण करती हैं तो कभी साड़ियों का वितरण करती हैं लेकिन यहां की जनता बड़ी स्वाभिमानी है। यहां की जनता कभी किसी के सामने गिड़गिड़ाई नहीं है। किसी के सामने जनता ने भीख नहीं मांगी है।
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प्रियंका ने कहा कि राहुल ने यहां जनता के लिए काम शुरू कराये लेकिन उन्हें भाजपा सरकार ने रुकवाया क्यों..? आखिर इन कामों से जनता की भलाई होती न कि राहुल गांधी की भलाई होने वाली थी तो सब रुकवा दिया गया। नेता और पालिटिकल पार्टी की नीयत भी देखनी चाहिए। अगर उनकी नीयत ठीक होती तो राहुल द्वारा शुरू कराये गए विकास कार्य बंद नहीं कराये जाने चाहिए थे। हम लोग यहां आते हैं तो यहां की समस्याओं के बारे में बात करते हैं। हम किसानों से बात करते हैं, गरीब परिवारों से बात करते हैं, छोटे दुकानदारों से बात करते हैं, नवजवानों से बात करते हैं। सबकी अपनी अलग-अलग समस्याएं हैं। चुनाव के समय इनकी बात की जानी चाहिए।