PM मोदी से बोले असदुद्दीन ओवैसी, ‘इस्लामिक देश अगर आपको प्यार करते हैं तो सभी पूर्व नौसैनिकों को वापस लाइए’

एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को वापस लाना चाहिए, जिन्हें कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई है। हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि पूर्व नौसेना अधिकारी मौत की कतार में हैं।

ओवैसी ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किया, ”अगस्त में उन्होंने कतर में फंसे पूर्व नौसेना अधिकारियों का मुद्दा उठाया था। गुरुवार को उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शेखी बघारी है कि इस्लामी देश उनसे कितना प्यार करते हैं। उन्हें हमारे पूर्व नौसेना अधिकारियों को वापस लाना होगा। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें मृत्युदंड का सामना करना पड़ा।” मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कतर में एक साल से अधिक समय से हिरासत में रखे गए आठ भारतीय पूर्व नौसेना कर्मियों को जासूसी के आरोप में मौत की सजा दी गई है।

कतर की एक अदालत ने कथित तौर पर कतर के खिलाफ इजरायल की ओर से जासूसी करने के आरोप में आठ सेवानिवृत्त भारतीय नौसेना कर्मियों को मौत की सजा सुनाई है। भारत ने भी इस घटनाक्रम पर हैरानी जताते हुए कहा है कि वह इस फैसले का विरोध करेगा। जिन भारतीय नौसेना के आठ सेवानिवृत्त कर्मियों को मौत की सजा सुनाई गई है, वे कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश हैं।

रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने कतर की दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टिंग सर्विसेज में काम किया, जो एक निजी कंपनी है जो कतर की रक्षा और सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण और अन्य सेवाएं प्रदान करती है। पिछले साल अगस्त में इन आठ व्यक्तियों को कतर अधिकारियों ने इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। भारतीय अधिकारी उनके कारावास के समय से ही उन्हें राजनयिक पहुंच प्रदान कर रहे हैं।

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा, ”कतर की प्रथम दृष्टया अदालत ने गुरुवार को अल दहरा कंपनी के 8 भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया है। हम मौत की सजा के फैसले से गहरे सदमे में हैं और विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं।

हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं, और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं। इसके अलावा आगे कहा, ”हम इस मामले को बहुत महत्व देते हैं और इस पर करीब से नजर रख रहे हैं। हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे।” बयान में आगे कहा गया है कि इस मामले की कार्यवाही की गोपनीय प्रकृति के कारण, इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

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