‘भगवान के भरोसे मत बैठिए, हो सकता है भगवान आपके भरोसे हो’ माझी फिल्म का ये संवाद अब साधु-संतों ने राम मंदिर के लिए आत्मसात कर लिया है। इसीलिए किसी राजनीतिक पार्टी पर भरोसा करने की बजाय खुद मैदान में उतरने जा रहे हैं। इसके लिए दिल्ली में चल रहे दो दिवसीय धर्मादेश सम्मेलन में देशव्यापी आंदोलन की रूप रेखा तैयार की जा रही है।
31 जनवरी और एक फरवरी को प्रयागराज में कुंभ के दौरान होने वाले धर्म संसद में भी राम मंदिर के लिए नई रणनीति तय की जाएगी। जिसके बाद पूरे देश में राममंदिर के लिए आंदोलन करके लोगों का समर्थन जुटाने में जुट जाएंगे।
संतों नहीं, आम जनता चाहती है मंदिर: रविशंकर
धर्मादेश सम्मेलन में रविवार को श्री श्री रविशंकर पहुंचे जहां उन्होंने संतों की मांग को दोहराते हुए कहा कि
‘संतों को मंदिर की जरूरत नहीं होती है। संत जहां होते हैं मंदिर वहीं होता है, लेकिन आम जनता चाहती है कि मंदिर बने। मंदिर के लिए हम प्रयत्न और प्रार्थना, दोनों का ही रास्ता अपनाएंगे’
दीपावल के बाद शुरु होगा निर्माणः योगी
साधु संतों की तैयारी और आरएसएस के दबाव के बीच यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया है कि दीपावली के बाद मंदिर निर्माण शुरु हो जाएगा। राजस्थान में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए योगी ने देश भर के लोगों से अपील की है कि इस बार अपने घरों में प्रभु राम के नाम का एक दीपक जलाएं। दिवाली बाद काम शुरू होगा ।
मंदिर निर्माण खुशी की बातः राजनाथ
योगी ने जहां राजस्थान में निर्माण की बात की। वहीं गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने वाराणसी के दौरे के दौरान कहा कि मंदिर निर्माण का रास्ता अगर बनता है तो खुशी होगी। केंद्र सरकार इसके लिए गंभीर भी है।
वहीं इस कवायद के बीच ये सवाल खड़ा हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुकदमे और कानून बनाने की मांग के अलावा क्या कोई ऐसा रास्ता है, जिससे मंदिर का निर्माण हो सकता है।
राम मंदिर पर संसद में लाया जाए बिल: बाबा रामदेव
इस बीच योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए संसद में बिल लाया जाए। बाबा रामदेव को उम्मीद है कि शुभ समाचार जल्द मिल जाएगा। बाबा ने कहा कि देश में नेताओं की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं लगाई जा रही हैं, लेकिन भगवान के लिए समय नहीं है। राम मंदिर निर्माण देश की आवाज और आवश्यकता है।
बगैर कानून के मौजूद है विकल्प
कानून के जानकारों की माने तो बिना कानून लाए बिना भी के बगैर भी हल मौजूद है। 1994 के इस्माइल फारुकी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि अधिग्रहण को संवैधानिक ठहराया था। फैसले के मुताबिक 2.77 एकड़ के विवादित क्षेत्र के अलावा अधिगृहित 50 एकड़ से ज्यादा जमीन की पूर्ण मालिक केंद्र सरकार है। जिसके फैसले के मुताबिक सरकार विवादित जमीन को छोड़कर बाकी जमीन किसी प्राधिकरण, संस्था या फिर किसी ट्रस्ट को दे सकती है।
विवादित जमीन पर नहीं है मालिकाना हक
कोर्ट का यथास्थिति का आदेश विवादित जमीन पर है। सरकार रिसीवर भी विवादित जमीन की है। इस बीच विवादित जमीन पर मालिकाना हक का फैसला आने दो। फैसले के बाद भी राज्य और केंद्र सरकार किसी भी जमीन को अधिगृहीत करने का अधिकार है।