मिलिए आरबीआई के नए गवर्नर से जिन्होंने अर्थशास्त्र की कभी पढ़ाई नहीं की
केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच लंबी खींचतान के बाद गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया। वहीं इस पद पर 24 घंटे के अंदर पूर्व आईएएस शक्तिकांत दास को नियुक्त कर दिया गया। खास बात ये है कि शक्तिकांत दास इतिहास के छात्र रहे हैं, और 1980 बैच तमिलनाडू कैडर के पूर्व आईएएस हैं।
शक्तिकांत दास के पास देश की आर्थिक नीतियां तय करने और समृद्ध बनाने की जिम्मेदारी है। पूर्व आईएएस अधिकारी शक्तिकांत दास की पहचान ऐसे अफसरों के तौर पर है। जिनके पास अर्थशास्त्र की डिग्री भले न हो लेकिन लेकिन उन्हें तीन अलग-अलग वित्तमंत्रियों के साथ काम किया है। जिसमें कांग्रेस के दो वित्तमंत्री भी शामिल हैं। शक्तिकांत दास का शांत स्वभाव, आम सहमति और समाधान निकालने में सक्षम माना जाता है।
इतिहास के रहे छात्र
शक्तिकांत दास ने 1980 में तमिलनाडु कैडर के आईएएस चुने गए थे। इससे पहले उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक और परास्नातक की डिग्री हासिल की। अपने कार्यकाल के दौरान राज्य अथवा केन्द्र में ज्यादातर आर्थिक एवं वित्त विभागों में ही तैनात रहे।
नोटबंदी में अहम भूमिका
साल 2016 में जब 8 नवंबर को पीएम ने 500-1000 के नोट बंद किए। उस दौरान ज्यादातर समय शक्तिकांत दास ही मीडिया के सामने आते थे। नोटबंदी के दौरान देश में मची हाहाकार के बीच सरकार के हरकदम की जानकारी मीडिया के सामने दी। साथ ही सवालों का जवाब दिया।
तीन वित्तमंत्रियों के साथ किया काम
शक्तिकांत दास की पहली बार वित्त मंत्रालय में 2008 में संयुक्त सचिव के तौर पर नियुक्ति हुई। जिनको तात्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम की पसंद बताए गए। वहीं बाद में जब प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाली तो उन्होंने भी शक्तिकांत दास पर भरोसा जताया। जिनको संयुक्त सचिव के बाद अतिरिक्त सचिव के रूप में काम करने का मौका मिला। साथ ही पांच साल तक यूपीए सरकार के सभी बजट बनाने वाली टीम का हिस्सा रहे।
मोदी सरकार ने जताया भरोसा
साल 2013 में उनके विभाग में बदलाव किया गया और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में सचिव की जिम्मेदारी दे दी गई। खास बात ये कि जब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने, और वित्तमंत्री अरुण जेटली के जिम्मे आया। तो मोदी सरकार ने भी उनपर भरोसा जताया और वापस वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव बना दिया गया।
जीएसटी पर सहमती बनाने बड़ी भूमिका
शक्तिकांत दास ने मोदी सरकार में कालेधन के खिलाफ लिए गए प्रयासों और जीएसटी लागू करने में राज्य सरकारों को राजी करना और आम सहमति बनाने में अहम भूमिका निभाई।नोटबंदी के दौरान जिसतरह से मोदी सरकार के फैसले का बचाव किया। साथ ही बड़े झटके के बीच आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। उसी का इनाम उनको आरबीआई गवर्नर के रूप में मिला। कहा जाता है 500 और 2,000 रुपये का नया नोट जारी करने साथ ही बैंकों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।
सुब्रमण्यम स्वामी ने लगाए थे गंभीर आरोप
एक दौर वो आया, जब बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने शक्तिकांत दास का नाम लेकर पूर्व वित्तमंत्री पी. चिंदबरम का साथ देने का आरोप लगाया। मामला तमिलनाडु के महाबलिपुरम में एक जमीन को हड़पने का था। उस वक्त शक्तिकांत तमिलनाडु में उद्योग सचिव थे। लेकिन मोदी सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दास का पूरा बचाव करते हुए कहा था कि
‘ शक्तिकांत दास एक अनुशासित सरकारी अधिकारी हैं। उनके खिलाफ अनुचित और असत्य आरोप है।’
अब ऐसे में जब रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच कई मुद्दों पर खींचतान बनी हुई है। इनमें रिजर्व बैंक में कैपिटल रिजर्व की मात्रा, साथ ही छोटे एवं मध्यम उद्योग के अलावा कई क्षेत्रों में कर्ज देने के नियमों में उदारता आदि शामिल हैं। ऐसे में शांत स्वभाव और सहज भाव से काम करने वाले शक्तिकांत दास कैसे इन चुनौतियों से निपटते हैं, देखने वाली बात होगी।