रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 2000 के नोट को वापस लेने का ऐलान कर दिया है। लेकिन यह नोट 30 सितंबर 2023 तक वैध रहेगा। इस समय भारत का सबसे बड़ा नोट 2000 रुपए का है। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब भारत में 1,00,000 लाख रुपए का नोट भी छापा गया था। इस नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर नहीं थी।
100000 (One Lakh ) Rupee Note Issued by Bank of Independence of Netaji Subhas Chandra Bose pic.twitter.com/I82CsYT228
— indianhistorypics (@IndiaHistorypic) November 11, 2016
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से उपलब्ध कराए गए डेटा के अनुसार भारत में 1938 और 1954 में ₹10000 के नोट भी छापे गए थे। लेकिन बाद में विमुद्रीकरण के तहत इन्हें बंद कर दिया गया था। उस समय ₹10000 की कीमत काफी ज्यादा हुआ करती थी।
इसके बाद फिर 1954 के बाद ₹1000, ₹5000 और ₹10000 के नोट को चलन में लाया गया। फिर सन 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार ने इन नोटों का विमुद्रीकरण किया। उसके बाद से इन नोटों को फिर से शुरू ही नहीं किया गया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सरकार के जमाने में एक लाख रुपए का नोट आया था। वर्ष 1943 में स्थापित हुए आजाद हिंद बैंक को दस देशों का समर्थन भी प्राप्त हुआ था। आजाद हिंद सरकार के समर्थन में बर्मा, जर्मनी, चीन, मंचूको, इटली, थाईलैंड, फिलीपिंस औरलैंड आयरलैंड ने बैंक की करेंसी को मान्यता भी दी थी।
हालांकि पहले आजाद हिंद बैंक की ओर से जारी 5000 के नोट की ही जानकारी सार्वजनिक थी, लेकिन नेताजी के चालक रह चुके कर्नल निजामुद्दीन ने एक बार इंटरव्यू में खुद कहा था कि आजाद हिंद सरकार के जमाने में एक लाख रुपए का नोट आया था। बाद में इसे बंद कर दिया गया।
इस नोट पर महात्मा गांधी की नहीं, बल्कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर छपी हुई थी। इस नोट को आजाद हिंद बैंक ने जारी किया था। इस बैंक का गठन भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ही किया था। यह बैंक बर्मा के रंगून में स्थित थी। इसी को बैंक ऑफ इंडिपेंडेंस भी कहा जाता था। इस बैंक को खासकर डोनेशन कलेक्ट करने के लिए बनाया गया था, जोकि भारत को ब्रिटिश राज से आजादी दिलाने के लिए दिया जाता था।