गडकरी का बयान सियासी घमासान, अपने पार्टी से हैं खफा या इसके पीछे है कोई और वजह

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मन में इनदिनों क्या चल रहा है. किसी को नहीं पता. कभी वो पार्टी लाइन से अलग पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के भाषणों से प्रभावित हो जाते हैं, तो कभी तीन राज्यों में हुई हार की जिम्मेदारी के लिए कहते है, सफलता के साथी कई है, असफलता अनाथ होती है।

कभी प्रधानमंत्री बनने को लेकर ऐसा जवाब देते हैं, कि पार्टी के साथ दूसरे भी कन्फ्यूज हो जाते हैं, कि आखिर गडकरी किस राह चल रहे हैं.

अपने बयानों से बीते कुछ दिनों से बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय परिवहन और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी चर्चा में हैं. ये बयान सिर्फ सुर्खियों तक ही सीमित नहीं रहे क्योंकि इन्हें सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ आवाज के तौर पर माना जा रहा है.

ऐसे में अब इन बयानों के पीछे सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि क्या नितिन गडकरी केंद्रीय नेतृत्व से खफा चल रहे हैं या फिर कुछ और ही वजह है. हम आपको इनके अब तक के उन बयानों से वाकिफ करवाते हैं, जिसकी वजह से वो चर्चा में हैं यानि उनके वो बयान जिन्होंने इन अटकलों को जन्म दिया है.

बीजेपी के कुछ नेताओं को मुंह बंद रखने की जरूरत

एक इंटरव्यू में केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”हमारे पास इतने नेता हैं, और हमें उनके सामने (टीवी पत्रकारों) बोलना पसंद है, इसलिए हमें उन्हें कुछ काम देना है. उन्होंने एक फिल्म के सीन का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोगों के मुंह में कपड़ा डाल कर मुंह बंद करने की जरूरत है.”

 

 

जहां हूं, वहां खुश हूं

प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को खारिज करते हुए केंद्रीय मंत्री बोले, ”मुझे गंगा प्रोजेक्ट पूरा करना है. एक्सेस कंट्रोल हाइवे का निर्माण करना है. मैं चारधाम रोड और अन्य प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहता हूं. मैं जो काम कर रहा हूं, उससे खुश हूं और इसे पूरा करना चाहता हूं.”

 

 

सफलता के कई पिता हैं, लेकिन विफलता अनाथ है

पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान नितिन गडकरी ने कहा, ”सफलता के कई दावेदार होते हैं, लेकिन विफलता में कोई साथ नहीं होता. सफलता का श्रेय लेने के लिए लोगों में होड़ रहती है, लेकिन विफलता को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता, सब दूसरे की तरफ उंगली दिखाने लगते हैं.”

 

 

हार का जिम्मेदार कौन?

24 दिसंबर को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ”यदि मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और मेरे सांसद और विधायक अच्छा नहीं करते हैं तो कौन जिम्मेदार होगा?”.

 

 

 

मुझे नेहरू के भाषण पसंद हैं

”सिस्टम को सुधारने को दूसरे की तरफ उंगली क्यों करते हो, अपनी तरफ क्यों नहीं करते हो. जवाहर लाल नेहरू कहते थे कि इंडिया इज़ नॉट ए नेशन, इट इज़ ए पॉपुलेशन. इस देश का हर व्यक्ति देश के लिए प्रश्न है, समस्या है. उनके भाषण मुझे बहुत पसंद हैं तो मैं इतना तो कर सकता हूं कि मैं देश के सामने समस्या नहीं बनूंगा.”

 

आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा

इनके बयानों के पीछे क्या वजह है ये तो अभी पता नहीं लेकिन विपक्ष ने इन बयानों में मीन मेख निकालनी शुरु कर दी है। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि इसमें कोई दो-राय नहीं है कि नितिन गडकरी ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह को टारगेट किया है. नरेंद्र मोदी और अमित शाह जिस तरह से तानाशाही कर रहे थे उसके खिलाफ अब आवाज उठने लगी है. अगर ताली कप्तान को तो गाली भी कप्तान को ही मिलेगी. बीजेपी में भारी बवंडर और बवाल मचने वाला है. नितिन गडकरी से पहले भी कई लोग  है जो सवाल खड़े करते रहे हैं. पार्टी के कार्यकर्ता और नेता पहले से ही दुखी थे और समय का इंतज़ार कर रहे थे. पांच राज्यों में चुनावी हार के बाद उन्हें मौका मिल गया है.

गडकरी को देनी पड़ी सफाई

हालांकि, बाद में गडकरी ने ये भी कहा कि उनकी टिप्पणी का कोई राजनीतिक मकसद नहीं था. उन्होंने दावा किया कि मीडिया के एक वर्ग ने बैंक्स एसोसिएशन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में उनकी ओर से की गई टिप्पणी को ‘तोड़ मरोड़कर पेश किया’.

ट्वीट करके दी सफाई

गडकरी के बयानों के चाहे जो मतलब निकाले जा रहे हों लेकिन केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा, पिछले कुछ दिनों में मैंने नोटिस किया है कि कुछ विपक्षी पार्टियां और मीडिया का एक खास वर्ग मेरे खिलाफ दुष्प्रचार चला रहा है. मेरे बयानों को गलत तरीके से दिखाया जा रहा है और उन्हें संदर्भ से हटाकर राजनीतिक मंशा पूरी करने के लिए प्रयोग कर रहे हैं. इनकी राजनीतिक मंशा मेरे और मेरी पार्टी की छवि को धक्का पहुंचाना है.

वहीं दूसरे ट्वीट में लिखा कि, एक बार फिर से सबको स्पष्ट कर देना चाहता हूं शीर्ष नेतृत्व और पार्टी के साथ मेरी तनाव की झूठी खबरें फैलानेवाले लोग बीजेपी नेतृत्व और मेरे बीच किसी तरह की दूरी नहीं बढ़ा पाएंगे. विभिन्न मंचों से मैंने अपनी स्थिति स्पष्ट की है और आगे भी ऐसा करता रहूंगा. झूठे प्रचार करनेवालों का असली चेहरा सामने लाता रहूंगा.

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