आरएसएस ने राम मंदिर निर्माण में देरी पर सुप्रीम कोर्ट को 1992 जैसा आंदोलन याद दिला दिया है. आरएसएस ने राम मंदिर मसले पर जल्द समाधान का आग्रह किया है. संघ ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार को इसपर अध्यादेश लाना चाहिए. शीर्ष अदालत के प्राथमिकताएं अलग होने के बयान पर संघ ने कहा कि इससे हिंदू समाज अपमानित महसूस कर रहा है. संघ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मसले की सुनवाई टालने के बाद राम मंदिर पर प्रतीक्षा और लंबी हो गई है.
शीर्ष अदालत हिंदुओं की भावनाओं का रखे ख्याल
जोशी ने कहा कि कोर्ट को सुनवाई टालने का अधिकार है लेकिन शीर्ष अदालत को हिंदुओं की भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए. अयोध्या विवाद की सुनवाई अगले साल तक टालने के निर्णय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा कि इस मामले पर उन्हें जल्द निर्णय आने की उम्मीद थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने इसे टालकर हमारे इंतजार को और लंबा कर दिया है. संघ ने राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश की मांग फिर दोहराई है. संघ ने कहा कि अगर जरूरी हुआ तो वह राम मंदिर के लिए 1992 जैसा आंदोलन भी करेगा. संघ ने कहा कि सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत द्वारा यह कहे जाने पर कि हमारी प्राथमिकताएं अलग हैं, इसे हिंदू समाज अपमानित महसूस कर रहा है।
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दीपावली से पहले खुशखबरी की उम्मीद टूटी
संघ के सर कार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण की सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट में 7 साल हो गए हैं. जब तीन जजों की पीठ बनी थी तो हमें उम्मीद थी जल्द इसपर कोई निर्णय आएगा. पर उस पीठ का कार्यकाल समाप्त हो गया. कोर्ट ने फिर नए नामों की घोषणा कर दी और कोर्ट ने 29 अक्टूबर तक के लिए उसे टाल दिया. हमें उम्मीद बंधी कि दिवाली से पहले कुछ शुभ समाचार मिल जाए. लेकिन शीर्ष अदालत ने इस मामले की सुनवाई को ही अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया.’
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तीस साल से जारी है आंदोलन
जोशी ने कहा, ‘राम सबके हृदय में रहते हैं. भगवान मंदिर में रहते हैं. हम हर कीमत पर राम मंदिर का निर्माण चाहते हैं. हम लगभग 30 सालों से मंदिर के लिए आंदोलन कर रहे हैं. कुछ कानूनी बाधाएं हैं. पर हमें उम्मीद है कि कोर्ट हिंदू समाज की भावनाओं को समझकर न्याय करेगा.’