‘यूपी के दो लड़के’ ये नारा तो आपको याद ही होगा। बीते साल की शुरुआत में नारा लखनऊ (lucknow) के ताज होटल से निकलकर पूरे यूपी में छा गया था। दोनों ने यूपी की सड़कों में निकल कर जमकर फोटो खिंचवाई थीं। लेकिन अब इन दोनों लड़कों नाता नारे के साथ टूट गया है। क्योंकि यूपी के एक लड़के यानी अखिलेश का रिश्ता माया से जुड़ गया है। जिससे दोनों आज से सबसे बड़े लड़ईया बनकर उभरे हैं।
जिसकी चर्चा सियासी गलियारों में जमकर हो रही है। 2017 में यूपी के विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश और राहुल ने साथ चलने के लिए गले के साथ हाथ मिलाया था। लेकिन ये दोस्ताना दो साल भी नहीं चल पाया। इस दोस्ताने के टूटने की मुख्य वजह रही कांग्रेस की तीन राज्यों में बनी सरकार।
विधानसभा तक सीमित रहा हाथ का साथ
गौर करने वाली बात ये है कि कांग्रेस ने सरकार तो बना ली। लेकिन असली सपना अब उसका अधूरा रहना वाला है। क्योंकि सपा और बसपा ने 2019 के लिए कांग्रेस को अपने गुट से बाहर कर दिया है। तीनों साथ आएंगे इसकी संभावना भी निल हो गई है।
मंत्रिमंडल गठन से अखिलेश नाराज
अखिलेश और माया एमपी में उनके विधायकों को मंत्री न बनाए जाने से नाराज है। जिसकी आशंका समाजवादी पार्टी के महासचिव ने पहले ही जता दी थी। महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा था कि सत्ता में आते ही कांग्रेस दूसरों की तवज्जो देना बंद कर देती है, हुआ भी वही।
‘कांग्रेस ने किया रास्ता साफ’
अखिलेश यादव को उम्मीद थी कि बिना शर्त समर्थन करने पर कांग्रेस उनका मान रखेगी। लेकिन कमलनाथ के कैबिनेट में अपने नेता को जगह न मिलने से अखिलेश ने कहा कि कांग्रेस ने उनके विधायक को मंत्री न बनाकर यूपी में गठबंधन का रास्ता साफ कर दिया है। जिसके लिए अखिलेश ने कांग्रेस को धन्यवाद भी दिया। हालंकि इस दौरान उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया।
छोटे दलों की बढ़ीं उम्मीदें
अखिलेश के इस बयान के बाद ये तय हो गया है। कि अखिलेश गैर कांग्रेसी गठबंधन यानी कि अपने साथ बसपा और आरएलडी के साथ दूसरे दलों को जोड़ने की कवायद शुरु करेंगे। जिसमें छोटे दलों का भी प्रभाव के मुताबिक सीटों का बंटवारा करने में आसानी होगी।
पिछड़े, दलित को साधने की तैयारी
सपा जहां प्रदेश के 12 प्रतिशत यादव और 14 प्रतिशत मुस्लिमों के साथ पिछड़ों का वोट बटोरने में सक्षम है। अखिलेश ने बीते दिनों ये कहकर चौंका दिया की ‘बीजेपी ने उन्हें याद दिला दिया की वो पिछड़े हैं’। वहीं बीएसपी की मायावती दलितों का 21 प्रतिशत वोट अपने खाते में दर्ज करके बड़ा माइलेज लेने में कामयाब हो सकती हैं। इसके साथ ही अगर सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला थोड़ा भी कामयाब हुआ तो बीजेपी के लिए भी बड़ा डेंट साबित होगा।
राहुल के रास्ते बंद!
इसके साथ ही माया और अखिलेश ने जिसतरह से कांग्रेस का हाथ झटका है। उससे कांग्रेस और राहुल गांधी का बड़ा सपना टूटता दिख रहा है। क्योंकि 2014 में सिर्फ दो सीटों पर सिमटी कांग्रेस के पास वोट बैंक का टोटा है। ऐसे में अगर पिछड़े और दलितों को लेकर दोनों चुनाव लड़े और वोट ट्रांस्फर करने में कामयाब रहे तो यूपी में सबसे बड़े लड़ैइया बनकर निकलेंगे।