लखनऊ: शनिवार को अमावस्या तिथि होने के कारण शनि अमावस्या कहलाती है। इस अमावस्या में स्नान, दान, पितृकार्य, श्राद्ध, तर्पण करने से धन, यश, संपत्ति और अरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन शनि पूजन व्रत और शनि की वस्तुओं के दान और शनि के मंत्र का जाप करने से शनि प्रसन्न होते है। शनि को ज्योतिष में कर्मफल दाता एवं न्यायाधीश कहा गया है। शनि को सेवक और जनता का प्रतीक माना गया है।
लोहा, जमीन से निकलने वाली वस्तुएं, खनिज आदि पर शनि का प्रभाव होता है। शनि सकारात्मक होने पर शुभ फल प्रदान करता है और प्रतिकूल होने पर जीवन में बहुत कष्ट देता है। 30 अप्रैल को प्रात 06:24 से 18 सितम्बर को दिन में 2:17 बजे तक मार्गी रहेंगे। शनि के इस गोचर से मेष, वृष, सिंह, कुम्भ को कैरियर, सफलता और धन का लाभ होगा। मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक राशि वालों को कॅरियर रोजगार में बदलाव, धनु को धन का व्यय यात्रायें अधिक, मकर को धन व्यय और अकेलापन, मीन को यात्राएं, मेहनत से सफलता।
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वर्तमान में वृश्चिक, धनु, मकर राशि वाले साढ़ेसाती के और कन्या और वृष राशि वाले ढैया के प्रभाव में हैं। जन्म कुण्डली में शनि के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए शनि के मंत्रों का जाप और पीपल के वृक्ष में शनिवार को सरसों के तेल का दिया जलाना चाहिए और शनि की वस्तुओं जैसे कि सरसों का तेल, लोहा, काला उड़द, काला तिल, काला वस्त्र आदि दान देना चाहिए।