सऊदी अरबः गुप्त तलाक पर बना नियम, महिलाएं जा सकेंगी अदालत

इस्लामिक कंट्री सऊदी अरब में कई महिलाओं को उनके तलाक के बारे में जानकारी नहीं हो पाती थी. इस कुरीति को समाप्त करने के लिए वहां की सरकार महिलाओं के हक में एक नया कानून लेकर आई है. इस कानून के तहत महिलाओं को तलाक देने के बारे में जानकारी देनी होगी.

गुप्त तलाक पर बना कानून

सऊदी अरब सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को उनका हक देने की शुरुआत कर दी है. ऐसा ही मामला था तलाक को लेकर. कई बार मुस्लिम महिलाओं को उनके तलाक के बारे में जानकारी नहीं हो पाती थी. इस कुरीति को समाप्त करने के लिए वहां की महिलाएं लम्बे समय से संघर्ष कर रही थी. इस कुरीति को समाप्त करने के लिए सऊदी अरब सरकार ने एक नया कानून लेकर आई है. इस कानून के तहत सऊदी अरब की अदालतों के लिए ये जरूरी बना दिया गया है कि वे महिलाओं को उनके तलाके के बारे में संदेश भेजकर जानकारी देंगी. इसके लिए ऐसे मामलों पर रोक लगेगी जहां पुरुष अपनी पत्नियों को जानकारी दिए बिना ही शादी तोड़ देते थे और दूसरा निकाह कर लेते थे. ऐसे मामलों को गुप्त तलाक के रूप में जाना जाता रहा है.

नए प्रावधान

सऊदी अरब सरकार के न्याय मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर जारी एक बयान में कहा कि सऊदी अदालतों ने ऐसी (तलाक) सूचनाएं भेजनी शुरू कर दी है. महिलाएं मंत्रालय की वेबसाइट पर अपनी वैवाहिक स्थिति की जांच कर सकती हैं या तलाक के कागजात की प्रतिलिपि प्राप्त करने के लिए संबंधित अदालत जा सकती हैं. लेकिन तलाक के बारे में जानने का मतलब यह नहीं है कि किसी महिला को गुजारा भत्ता मिलेगा या उसके बच्चों की कस्टडी उसे मिल जाएगी.

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मार्डन होती सोच

इस नए कदम को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सलमान की आर्थिक और समाजिक सुधार प्रक्रिया का हिस्सा बताया जा रहा है. और इसी सोच का हिस्सा है की महिलाओं को कई तरह की छूट दी जा रही है. इससे पहले महिलाओं को ड्राइविंग करने की, खेल स्टेडियमों में प्रवेश की, स्थानीय चुनावों में मतदान करना जैसी आजादी दी जा चुकी है. जो पारंपरिक तौर पर पुरुषों के लिए ही समझे जाते थे.

लैंगिक असमानता

सऊदी अरब में अब भी कई ऐसे काम हैं जो महिलाएं पुरुषों यानी पति, पिता, भाई और बेटे की सहमति के बिना नहीं कर सकती हैं. पुरुषों के संरक्षणवाद की व्यवस्था होने के कारण सऊदी अरब मध्य पूर्व में सर्वाधिक लैंगिक असमानता वाला देश है. सऊदी अरब के इस परिवर्तन को देखते हुए वहां की महिलाओं को उम्मीद है कि उनको भी निर्णय लेने का हक मिलेगा.

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