नई दिल्ली: फाल्गुन की अष्टमी को शीतला सप्तमी और अष्टमी को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है। शीतला माता को संक्रामक रोगों से बचाने वाली देवी कहा जाता है।
शीतला माता को क्यों चढ़ाया जाता है बासी प्रसाद
शीतला सप्तमी या अष्टमी पर घर में ताजा भोजन नहीं बनाया जाता। इस दिन ठंडा भोजन खाए जाने का रिवाज है इसका धार्मिक कारण यह है कि शीतला मतलब जिन्हे ठंडा अतिप्रिय है। इसीलिए शीतला देवी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें ठंडी चीजों का भोग लगाया जाता है। इस कारण से ही उत्तर भारत में शीतला सप्तमी या अष्टमी का ये व्रत बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है।
इसके पीछे एक कारण ये भी है कि इस दिन के बाद से बासी भोजन करना बंद कर दिया जाता है। ये ऋतु का अंतिम दिन होता है जब बासी खाना खा सकते हैं। इस व्रत को करने से शीतला देवी प्रसन्न होती हैं और व्रत करने वाले के परिवार में दाहज्वर, पीतज्वर, दुर्गन्धयुक्त फोडे, नेत्रों के समस्त रोग और शीतला से होने वाले दोष दूर हो जाते हैं। शीतला माता की पूजा से स्वच्छता और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की प्रेरणा भी मिलती है।