आखिर गुरुवार को ही क्यों किया जाता है साईं व्रत ?

आखिर गुरुवार को ही क्यों किया जाता है साईं व्रत ?

शिरडी वाले साईं बाबा का नाम आते ही भक्त बाबा के दर्शन करने लिए दौड़े चले जाते हैं. साईं बाबा के दुनिया के कोने-कोने में लाखों करोड़ों भक्त हैं. ऐसा माना जाता है कि बाबा अपने दर पर आए हर एक भक्त की मुराद पूरी करते हैं. बाबा उसकी झोली खुशियां से भर देते हैं. यू तो रोजाना इच्छा पूर्ति के लिए बाबा से प्रार्थना करते है. साईं बाबा के पूजन के लिए सभी दिनों में गुरुवार का दिन सर्वोत्तम माना जाता हैं. ऐसी मान्यता है कि बाबा स्वयं भक्तों को गुरुवार व शुक्रवार को आराधना करने की सलाह देते थे.

बाबा के अनुसार गुरुवार का दिन हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है तथा शुक्रवार का दिन इस्लाम धर्म में एक पाक दिन माना जाता है. साईं व्रत कोई भी कर सकता हैं चाहे महिला हो या पुरुष, बच्चें हो या बुजुर्ग. ये व्रत कोई भी जाति-पाति के भेद भाव बिना भी व्यक्ति कर सकता है. वैसे भी हम सभी जानते हैं कि साईं बाबा जात-पात को नहीं मानते थे और उनका कहना था कि ‘सबका मालिक एक है’.

गुरुवार व्रत रखने की विधि

ऐसी मान्यता है कि साईं बाबा व्रत एक बार शुरू करने के बाद नियमित रूप से 9 गुरुवार तक किया जाना चाहिए. फिर भी ऐसा माना जाता है कि बाबा अपने भक्तों की एक पुकार पर उनकी इच्छा पूरी कर देते हैं.

साईं बाबा के व्रत को रखने की विधि बेहद आसान है. ये व्रत किसी भी गुरुवार को साईं बाबा का नाम लेकर शुरू किया जा सकता है. सुबह यो शाम को स्नान करने के बाद साईं बाबा की फोटों या मूर्ति की पूजा की जाती है. किसी आसन पर पीला या लाल कपड़ा बिछा कर उस पर साईं बाबा का फोटों या मूर्ति रख कर पानी से पोछ कर चंदन या कुमकुम का तिलक लगा कर बाबा को पीला फूल या माला चढ़ाना चाहिए. अगरबत्ती और दीपक जलाकर साईं व्रत की कथा ध्यान पूर्वक पढ़ते हुए बाबा का पूजा करना चाहिए.

बाबा को प्रसाद चढ़ाकर उस प्रसाद को बाटना चाहिए, प्रसाद में कोई भी फलाहार या मिठाई बाबा को अर्पित किया जा सकता है. संभव हो तो साईं बाबा के मंदिर में जाकर भक्तिभाव से बाबा के दर्शन साईं बाबा के व्रत पूर्ण हो जाने पर अंतिम व्रत के दिन पांच गरीब व्यक्तियों को भोजन और सामर्थ्य अनुसार दान देना चाहिए. इसके साथ साई बाबा की जीवन से जुड़ी साईं पुस्तक या साईं सत्चरित्र कि 7,11,21, पुस्तकों को आस-पास के लोगों में बांटनी चाहिए. इस प्रकार व्रत को समाप्त किया जाता है. इसे उद्यापन के नाम से भी जाना जाता है.

जाने क्यों रखते हैं गुरुवार को व्रत

किसी शहर में कोकिला बहन और उनके पति महेश भाई रहते थे. दोनों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम-भाव था, परंतु महेश भाई का स्वाभाव झगड़ालू किस्म का था. बोलने की तमीज ही न थी. लेकिन कोकिला बहन बहुत ही धार्मिक स्त्री थी, भगवान पर विश्वास रखती एवं बिना कुछ कहे सब कुछ सह लेती. धीरे-धीरे उनके पति का धंधा-रोजगार ठप हो गया, कुछ भी कमाई नहीं होती थी.

महेश भाई अब दिनभर घर पर ही रहते. महेश भाई ने गलत राह पकड़ ली और उनका स्वाभाव पहले से भी अधिक चिड़चिड़ा हो गया था. एक दिन दोपहर का समय था. कोकिला बहन उदास बैठी थी तभी एक वृद्ध महाराज दरवाजे पर आकार खड़े हो गए. चेहरे पर गजब का तेज था और आकर उन्होंने दाल-चावल की मांग की. कोकिला बहन ने दाल-चावल दिए और दोनों हाथों से उस वृद्ध बाबा को प्रणाम किया, वृद्ध ने कहा, “साईं” सुखी रखे. कोकिला बहन ने कहा महाराज सुख मेरी किस्मत में नहीं है और अपने दुखी जीवन का वर्णन वृद्ध महाराज से कहा.

वृद्ध महाराज ने श्री साईं के व्रत के बारें में बताया. 9 गुरुवार फलाहार या एक समय भोजन करना, हो सके तो बेटा साईं मंदिर जाना, घर पर साईं बाबा की 9 गुरुवार पूजा करना, साईं व्रत करना और विधि से उद्यापन करना. भूखे को भोजन देना, साईं व्रत की किताबें 7, 11, 21 यथाशक्ति लोगों को भेंट देना और इस तरह साईं व्रत का फैलाव करना. साईं बाबा तेरी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगे. बाबा पर अटूट श्रद्धा रखना.

कोकिला बहन वृद्ध महाराज के कहे अनुसार गुरुवार का व्रत लिया और 9वें गुरुवार को गरीबों को भोजन कराया. व्रत की पुस्तकें बांटी. उनके घर से झगड़े दूर हुए, घर में बहुत ही सुख शांति हो गई. महेश भाई का स्वाभाव ही बदल गया, उनका धंधा फिर से चालू हो गया. थोड़े समय में ही सुख समृद्धि बढ़ गई. दोनों पति-पत्नी सुखी जीवन बिताने लगे.

एक दिन कोकिला बहन के जेठ-जेठानी सूरत से उनके घर आए. बातों-बातों में उन्होंने बताया कि उनके बच्चें पढ़ाई नहीं करते और परीक्षा में फेल हो गए है. कोकिला बहन ने 9 गुरुवार की महिमा बताई और कहा कि साईं बाबा की भक्ति से बच्चें अच्छी तरह अभ्यास कर पाएंगे. लेकिन इसके लिए साईं बाबा पर विश्वास रखना जरूरी है. साईं सबकी सहायता करते है. उनकी जेठानी ने व्रत की विधि बताने के लिए कहा. कोकिला बहन ने अपनी जेठानी को सारी बातें बताई जो खुद उन्हें वृद्ध महाराज ने बताई थी.

सूरत से उनकी जेठानी का थोड़े दिनों में पत्र आया कि उनके बच्चें साईं व्रत करने लगे और और बहुत अच्छे तरह से पढ़ते है. उन्होंने भी व्रत किया था और व्रत की कीताबें जेठ के ऑफिस में भी दी थीं. इस बारे में उन्होंने लिखा कि उनकी सहेली की बेटी की शादी साईं व्रत करने से बहुत ही अच्छी जगह तय हो गई. उनके पड़ोसी का गहनों का डिब्बा गुम हो गया, अब वह महीनों के बाद गहनों का डिब्बा न जाने कहां से वापस मिल गया. ऐसे कई अद्भूत चमत्कार हुआ था.

कोकिला बहन ने साईं बाबा की महिमा महान है वह जान लिया था. हे साईं बाबा जैसे सभी लोगों पर प्रसन्न होते है, वैसे हम पर भी होना. तब से गुरुवार को साईं बाबा का पूजा किया जाने लगा.

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