सीएम पद को लेकर भाजपा से भिड़ी शिवसेना ने चौंकाया, आदित्य नहीं शिंदे को चुना नेता

मुंबई : महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही खींच-तान के बीच आज गुरूवार को शिवसेना विधायक दल की बैठक में चौकाने वाला फैसला लिया गया। पार्टी की तरफ से एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुना गया, जबकि संभावना यही थी कि विधायक दल का नेता पद उद्धव ठाकरे के पुत्र और वर्ली से चुनाव जीते आदित्य ठाकरे को मिल सकता है। विधायक दल के नेता पद के लिए आदित्य ठाकरे ने ही एकनाथ शिंदे के नाम का प्रस्ताव रखा था. इसके अलावा बैठक में सुनील प्रभु को विधानसभा में शिवसेना का चीफ व्हिप चुना गया है।

विधायक दल की बैठक के बाद शिवसेना के विधायक राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करेंगे। शिवसेना की तरफ से कहा गया है कि राज्यपाल से मुलाक़ात महाराष्ट्र में सूखे के मुद्दे पर होगी। राज्यपाल से मिलने वाले नेताओं में आदित्य ठाकरे, एकनाथ शिंदे, दिवाकर राउते, सुभाष देसाई और अन्य नए विधायक शामिल हैं।

सीएम की कुर्सी पर दावा कायम 

उधर भारतीय जनता पार्टी के साथ कथित 50-50 फार्मूले को लेकर मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना का दावा कायम है। विधायक दल की बैठक के पहले शिवसेना नेता संजय राउत ने साफ़ कहा कि ‘हम अपनी मांग से पीछे नहीं हटे हैं, लेकिन हमारे दोस्त अपने वादों से पीछे हट गए हैं. चुनाव से पहले 50-50 फॉर्मूले पर बात हुई थी, इसे देवेंद्र फडणवीस ने भी कबूला है.’ संजय राउत ने कहा, ‘अगर 105 विधायकों से समर्थन से मुख्यमंत्री पद मिलता हो, तो संविधान में वो कहां पर है, हमें दिखाइए।’

आपको बता दें कि शिवसेना ढाई- ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री की मांग कर रही है। जिसके तहत वो ढाई वर्ष के लिए अपने मुख्यमंत्री की मांग कर रही है। शिवसेना का दावा है कि भाजपा अध्यक्ष अमृत शाह ने लोकसभा चुनाव के वक़्त शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से इसका वादा किया था। जबकि भाजपा ऐसे किसी वादे से इंकार कर रही है। हालांकि भाजपा की ओर से ऑफर की बात भी सामने आई है। सूत्रों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी सरकार गठन के लिए शिवसेना को 13 मंत्रालय और एक डिप्टी सीएम पद ऑफर कर सकती है। हालांकि, भाजपा शिवसेना को वित्त मंत्रालय नहीं देना चाहती है।

महाराष्ट्र में हुए चुनाव में इस बार भाजपा को 105, शिवसेना को कुल 56 विधायक मिले हैं। दोनों दल निर्दलीयों का समर्थन लेने में भी जुटे हैं। अभी तक बीजेपी 15 निर्दलीय और शिवसेना 7 विधायकों के समर्थन का दावा कर रही चुकी है। जबकि भाजपा के कुछ नेता तो सरकार गठन लिए शिवसेना के ही तमाम विधायकों के भाजपा के पक्ष में टूटने का दावा कर रहे हैं।

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