खत्म हुआ ‘चाचा ‘ का लिहाज, अखिलेश समर्थकों ने शिवपाल को बताया -भाजपा का एजेंट और कमीशनखोर

लखनऊ: अखिलेश यादव के समर्थकों को शायद अब शिवपाल सिंह यादव को जवाब देना जरूरी महसूस होने लगा है. मंगलवार को समाजवादी पार्टी की तरफ से दो बड़े चेहरे शिवपाल पर बोले. यादव कुनबे के ही सदस्य सांसद धर्मेंद्र यादव. जिन्होंने परोक्ष रूप से शिवपाल सिंह यादव को भारतीय जनता पार्टी का एजेंट करार दिया. तो दूसरे रहे पार्टी के प्रवक्ता और अखिलेश कैबिनेट में मंत्री रहे पवन पांडेय. पवन ने चाचा शिवपाल को कमीशनखोर कह डाला. एक ने उनकी सियासी नीयत पर सवाल उठाया तो दूसरे ने उन्हें भृष्टाचारी करार दिया. शायद शिवपाल यादव के लिए पार्टी लाइन यही रहेगी, हां हमलों की तेज धार के नाम पर शब्द और तल्ख़ होते जाएंगे.

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शिवपाल सिंह यादव को लेकर अखिलेश यादव के समर्थकों में किसी किस्म का प्रेम और संम्मान नहीं रह गया था. लेकिन एक लिहाज जैसा जरूर था. सार्वजनिक तौर पर उलटा-सीधा बोलने की हिम्मत नहीं थी. अखिलेश के बहुत करीबी नेताओं के तो नहीं, सामान्य नेताओं में यह ख्याल भी रहता था कि नेता जी के घर लड़ाई है. आज हम गरिया दें और ये सब कल को सब एक हो जाएं तो क्या होगा. विधानसभा चुनाव से ही रास्ते जुदा थे लेकिन अब समाजवादी पार्टी सेक्युलर मोर्चा बनाकर शिवपाल ने अपनी अलग राह का एलान कर दिया. बात गंभीर हुई है रविवार से, जबसे शिवपाल ने नेता जी मुलायम सिंह यादव का फोटो छापकर अपनी पार्टी का झंडा जारी कर दिया है. यूं तो नेता जी की पार्टी उनके बेटे के नाम हो चुकी है मगर नेता जी का आशीर्वाद भी उतना ही अहम् है. नेता जी ने कोई बयान नहीं दिया है मगर शिवपाल दावा करते घूम रहे हैं कि आशीर्वाद उन्हीं के साथ है. बहरहाल अगर नहीं है तब भी शिवपाल के दावे का खंडन पिता या पुत्र की तरफ से नहीं आया है.

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शिवपाल सिंह यादव के इधर दो-तीन दिन में बयानों पर भी गौर फरमा लीजिए. सपा की प्रतिक्रिया के जिक्र से पहले उन नश्तरों का जिक्र भी जरूरी है जो पार्टी को शिवपाल की तरफ से चुभे हैं. नेता जी का आशीर्वाद मेरे साथ है. मोर्चा में अध्यक्ष पद उनके लिए छोड़ रखा है. मोर्चा सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा. मैनपुरी सीट हमने अपनी तरफ से नेता जी के लिए रिजर्व कर रखी है. मोर्चा में हर उस चेहरे का स्वागत है जिसका समाजवादी पार्टी में दम घुट रहा है या उपेक्षा के चलते एक तरफ पड़ा है. इसके अलावा शिवपाल अपने भतीजे अखिलेश की उस सियासी रणनीति पर भी प्रहार करने में पीछे नहीं हैं, जिस रणनीति के लिए अखिलेश हर कुर्बानी के लिए तैयार हैं. मतलब बहुजन समाज पार्टी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन. शिवपाल ने पहला हमला तो दो दिन पहले यह कह कर किया कि अगर अखिलेश भाजपा को हारने के लिए गठबंधन बना रहे हैं तो फिर हमारे मोर्चा को भी उसमें शामिल करें. बात आज आगे बढ़ाते हुए शिवपाल ने कह दिया उनका सेक्युलर मोर्चा बसपा से गठबंधन की कोशिश करेगा. क्योंकि हमारा उद्देश्य भी भाजपा को हराना है.

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शायद यह सब नाक से पानी ऊपर होने जैसी बाते हैं. सब देख रहे हैं कि मायावती के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए अखिलेश किस कदर लचीला रुख अपनाए हुए हैं. अब शिवपाल वहां भी नहीं चूक रहे. बसपा से उनका गठबंधन भले ना हो मगर सियासी दांव तो वह चल ही रहे हैं. बदायूं से सपा सांसद धर्मेंद्र यादव मुलायम परिवार का हिस्सा हैं. परिवार के अंदर से यह पहला हमला है. मंगलवार को बरेली में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया के सवालों पर धर्मेंद्र ने कहा कि भाजपा को हारने के लिए गठबंधन बना है. जो लोग इस तरह की सियासत करेंगे वो गठबंधन को कमजोर करके भाजपा को मजबूत करने का काम करेंगे. उधर फैजाबाद में पूर्व मंत्री पवन पांडेय ने कहा – शिवपाल सिंह यादव सबसे बड़े कमीशनखोर हैं. उन्होंने अखिलेश सरकार को बदनाम करने के अलावा कुछ नहीं किया. भृष्टाचार किया और अब भाजपा के एजेंट बन गए हैं. राजनीति के जानकार कहते हैं कि अखिलेश समर्थक अब शिवपाल यादव के मोर्चे की फंडिंग पर सवाल खड़े करके उन्हें भाजपा का एजेंट साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. उन्हें हरी झंडी मिल चुकी है.

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