विभाजन के 71 साल बाद सिख भाई से मिली मुस्लिम बहनें
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित गुरु नानक देव के जन्म स्थान ननकाना साहिब गुरुद्वारे में हर साल लाखों भारतीय श्रद्धालु मत्था टेकने जाते है. इस साल भी भारतीय सिख श्रद्धालुओं का एक जत्था गुरुनानक जयंती के मौके पर यहां मत्था टेकने आया था.
इसी जत्थे का हिस्सा थे बेअंत सिंह. वैसे तो यह यात्रा धार्मिक थी लेकिन बेअंत सिंह के लिए यह कभी न भूलने वाली यात्रा बन गई. बेअंत सिंह की मुलाकात यहां पर उनकी 2 बहनों से हुई.
भारत और पाकित्सान के बटवारे से समय कई परिवार इधर से उधर हुए थे जिनमें बेअंत सिंह का भा परिवार शामिल था. बेअंत सिंह तब पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक के पास स्थित पारचा गांव में रहते थे. विभाजन के समय बेअंत सिंह का परिवार पाकिस्तान जाने लगा. लेकिन बेअंत सिंह भारत की सीमा पार नहीं कर पाए और परिवार से बिछड़ गए.
विभाजन के बाद बेअंत सिंह की मां को उनके पड़ोसियों की चिठ्ठी से पता तला कि वो भारत में ही है. विभाजन को 7 दशक बीत गए है. इस दैरान काफी कुछ बदल चुका है. बेअंत सिंह की बहनों से इस्लाम धर्म कबूल कर लिया है. मुस्लिम बहनें उल्फत बीबी और मिराज बीबी 7 दशकों के बाद सिख भाई बेअंत सिंह के गले लगीं. इस दौरान इन दोनों के बीच चिट्ठियों से बात होती रही.
रविवार को तीनों भाई बहन एक दूसरे के गले मिलकर खूब रोए. अब उल्फत अपने भाभी से मिलना चाहती है. साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से बेअंत का वीजा आगे बढ़ाने की मांग की है.
बेअंत सिंह अपनी मुस्लिम बहनों से ऐसे समय मिले है जब भारत और पाकिस्तान सिखों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए करतारपुर कॉरीडोर के निर्माण पर राजी हो गए है. माना जा रहा है कि इस कॉरीडोर के निर्माण के बाद दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ी बर्फ पिघलेगी.