श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे द्वारा शुक्रवार को आपातकाल का ऐलान किया गया । आपको बता दें कि श्रीलंका इस समय बेहद आर्थिक तंगी से जूझ रहा है जिसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति राजपक्षे ने यह फैसला सुनाया है । ऐसे में सुरक्षा बलों को व्यापक अधिकार मिलें हैं कि देश में इस के फलस्वरूप यूटीटीएन विरोध के प्रदर्शन को नियंत्रित करे तथा उसका समाधान करे ।
इस संदर्भ में राष्ट्रपति राजपक्षे। के ही एक प्रवक्ता ने बयान दिया कि बिगड़ते आर्थिक तंगी को लेकर राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफ़े की मांग को लेकर ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी हड़तालें की थी। इसी कारण हेतु कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आधी रात के बाद आपातकाल लागू करने का आदेश जारी किया है।
यह फैसला तब लिया गया जब छात्र कार्यकर्ताओं ने देश की संसद का घेराव करने की चेतावनी दी थी । जॉइंट ट्रेड यूनियन एक्शन ग्रुप’ के रवि कुमुदेश ने कहा, ”2000 से अधिक व्यापार संघ हड़ताल में शामिल हैं। हालांकि, हम आपात सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, ”इस एक दिवसीय हड़ताल का मकसद राष्ट्रपति को यह बताना है कि उन्हें अपनी सरकार के साथ इस्तीफा दे देना चाहिए। यदि हमारे अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया गया तो हम 11 मई से तब तक हड़ताल करेंगे जब तक सरकार इस्तीफा नहीं दे देती।”वहीं, शिक्षक संघ के महिंदा जयसिंघे ने कहा कि स्कूल के शिक्षक व प्रधानाध्यापक भी आज की हड़ताल में शामिल हैं।
निजी बस संचालकों ने कहा कि डीजल के लिए ईंधन स्टेशन पर लंबी कतारों के कारण उनके लिए सेवाएं देना मुश्किल हो गया है।निजी बस मालिकों के संघ के गामुनु विजेरत्ने ने कहा, ”बसें चलाने के लिए डीजल नहीं है।”
इससे पहले, बृहस्पतिवार को संसद तक विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों ने संसद के मुख्य द्वार पर डेरा डाल दिया था। पुलिस ने बीती रात उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े लेकिन भारी बारिश में भी वे धरने पर बैठे रहे।गौरतलब है कि इस्तीफे के बढ़ते दबाव के बावजूद, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके बड़े भाई व प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया है।