नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट केरल के सबरीमाला मंदिर केस में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को लेकर आज अपना अहम फैसला सुना दिया है. सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट ने बैन हटा दिया है. अब सभी महिलाएं मंदिर में प्रेवश कर सकेंगी. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोतरफा नजरिये से महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचती है. पुरुष की प्रधानता वाले नियम बदले जाने चाहिए, जो नियम पितृसत्तात्मक हैं वो बदले जाने चाहिए.
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बता दें कि मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं थी, जिसके खिलाफ इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस मामले को लेकर याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह प्रथा लैंगिक आधार पर भेदभाव करती है, इसे खत्म किया जाना चाहिेेेए. याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना है कि यह संवैधानिक समानता के अधिकार में भेदभाव है. इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने कहा है कि मंदिर में प्रवेश के लिए 41 दिन से ब्रह्मचर्य की शर्त नहीं लगाई जा सकती क्योंकि महिलाओं के लिए यह असंभव है. केरल सरकार ने भी मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश की वकालत की है.
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वहीं, याचिका का विरोध करने वालों ने दलील दी थी कि सुप्रीम कोर्ट सैकड़ों साल पुरानी प्रथा और रीति रिवाज में दखल नहीं दे सकता. भगवान अयप्पा खुद ब्रह्मचारी हैं और वे महिलाओं का प्रवेश नहीं चाहते. आपको बताते चलें कि इस मामले में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आठ दिनों तक सुनवाई करने के बाद 3 अगस्त को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. जस्टिस मिश्रा, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की पीठ ने पहले कहा था कि (महिलाओं को प्रवेश से) अलग रखने पर रोक लगाने वाले संवैधानिक प्रावधान का उज्ज्वल लोकतंत्र में कुछ मूल्य है.