सुप्रीम कोर्ट का आदेश, गोधरा दुष्कर्म पीड़िता बिलकिस को दें 50 लाख रुपये

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया है कि वह 2002 गुजरात दंगों में दुष्कर्म पीड़ित बिल्किस बानो को बतौर मुआवजा 50 लाख रुपये दे। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुजरात सरकार को ये भी निर्देश दिया कि वो बिल्किस बानो को सरकारी नौकरी दे और उसे रहने के लिए मकान भी उपलब्ध कराए। सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है, जिन्हें हाईकोर्ट ने दोषी करार दिया है। कुछ अधिकारी जो रिटायर हो चुके हैं, उनकी पेंशन बंद कर दी गई है। जो अभी सेवारत हैं, उन्हें दो रैंक डिमोट कर दिया गया है।

29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया था कि वो उन छह पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करे, जिन्हें हाईकोर्ट ने दोषी करार दिया था। दरअसल इन अधिकारियों ने बांबे हाईकोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई, 2017 को इन अधिकारियों की अर्जी खारिज कर दी थी। कोर्ट ने गुजरात के पुलिसकर्मी राम सिंह भगोरा और चार दूसरे पुलिस अधिकारियों और दो डॉक्टरों की याचिका खारिज कर दी थी । कोर्ट ने कहा था कि सभी की सजा बरकरार रहेगी। दोनों डॉक्टरों को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आपने डॉक्टर होने के बावजूद पुलिस के कहने पर रिपोर्ट लिखी, ये आपने अपने पेशे के साथ सही नहीं किया। बिल्किस बानो के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि दोषी अफसरों की सेवा अभी भी बरकरार है।

क्या है मामला?

– 27 फरवरी को गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे, जिसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए।

– अहमदाबाद से 250 किमी दूर रंधीकपुर गांव में 3 मार्च, 2002 को बिल्किस बानो के परिवार के परिवार पर एक भीड़ नेिया। इसमें बिल्किस की तीन साल की बेटी सहित उसके परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई थी।

– पांच माह की गर्भवती बिल्किस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। हालांकि इस हमले में बिल्किस और उनके परिवार के छह लोग जिंदा बच गए। उस समय बिल्किस बानो 19 साल की थी।

– बिल्किस बानो ने 4 मार्च, 2002 को पंचमहल के लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज करायी।

– 22 मार्च 2002 को कम्युनलिज्म कॉम्बैट की तत्कालीन उपसंपादक तीस्ता सीतलवाड़ ने गोधरा रिलीफ कैंप में बिल्किस बानो का इंटरव्यू लिया।

– इस इंटरव्यू के दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस जेएस वर्मा भी मौजूद थे। इस इंटरव्यू के बाद बिल्किस बानो का मामला एक संवेदनशील मुद्दा बन गया।

– इस मामले की शुरुआती जांच अहमदाबाद में शुरू हुई। सीबीआई ने 19 अप्रैल, 2004 को अपनी चार्जशीट दाखिल की।

– इसके बाद बिल्किस ने यह आशंका जाहिर की थी कि गवाहों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है और सीबीआई के साक्ष्यों से छेड़छाड़ की जा सकती है।

– सुप्रीम कोर्ट ने बिल्किस बानो की मांग पर 6 अगस्त, 2004 में मामले को मुंबई ट्रांसफर कर दिया।‘बेस्ट बेकरी कांड’ के बाद गुजरात दंगों से जुड़ा दूसरा मामला था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई ट्रांसफर किया था।

– यूडी साल्वी की विशेष अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को दिए अपने फैसले में बिल्किस के साथ सामूहिक बलात्कार करने और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया था।

– इन 11 दोषियों ने अपनी सजा के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की थी। लेकिन 4 मई को सुनाए गए अपने फैसले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने इनकी सजा बरकरार रखी।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles