सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT को लेकर बुधवार को हुई सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हम संदेह के आधार पर आदेश जारी नहीं कर सकते हैं. अदालत चुनाव की नियंत्रण अथॉरिटी नहीं है. आपको बता दें कि अदालत ने EVM के मुद्दे पर दो दखल दिया है.
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमारे कुछ सवाल थे. जिनके जवाब दे दिए गए हैं. अभी हमने फैसला सुरक्षित रखा है. कोर्ट ने VVPAT को लेकर कहा कि अभी तक गड़बड़ी की एक भी रिपोर्ट सामने नहीं आई है. हम साथ में ये भी देख रहे हैं कि क्या ज्यादा VVPAT के मिलान का आदेश दिया जा सकता है.
सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता ने प्रशांत भूषण से कहा कि क्या हम संदेह के आधार पर कोई आदेश जारी कर सकते हैं? जिस रिपोर्ट पर आप भरोसा कर रहे हैं, उसमें कहा गया है कि अभी तक हैकिंग की कोई घटना नहीं हुई है. हम किसी दूसरे संवैधानिक अथॉरिटी को नियंत्रित नहीं करते है. हम चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकते.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में वीवीपैट की बात कही गई थी और उसका पालन किया गया लेकिन इसमें कहां कहा गया है कि सभी पर्चियों का मिलान करें. इसमें 5 प्रतिशत लिखा है, अब देखते हैं कि क्या इन 5 प्रतिशत के अलावा कोई उम्मीदवार कहता है कि दुरुपयोग के मामले आए हैं
कोर्ट ने आगे कहा कि अगर कुछ सुधार की जरूरत है तो सुधार करेंगे. हमने इस मामले में दो बार दखल दिया. पहले VVPAT अनिवार्य करने में और फिर एक से 5 VVPAT मिलान के आदेश जारी करके
सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि इसलिए हमने चुनाव आयोग से भी यही सवाल पूछा था. आयोग का कहना है कि फ्लैश मेमोरी में कोई दूसरा प्रोग्राम फीड नहीं किया जा सकता. उनका कहना है कि वो फ़्लैश मेमोरी में कोई प्रोगाम अपलोड नहीं करते, बल्कि चुनाव चिन्ह अपलोड करते है, जो कि इमेज की शक्ल में होता है. हमे तकनीकी चीजों पर आयोग पर यकीन करना ही होगा.
इसपर प्रशांत भूषण ने दलील दी कि वो चुनाव चिन्ह के साथ साथ कोई ग़लत प्रोगाम तो अपलोड कर सकते हैं. मेरा अंदेशा उस बात को लेकर है. फिर कोर्ट ने कहा कि हम आपकी दलील को समझ गए. हम फैसले में इसका ध्यान रखेंगे