दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि किसानों को विरोध प्रदर्शन का अधिकार है।पर सड़को को बंद नहीं किया जा सकता है। मसले का हल निकलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों को जवाब दाखिल करने के लिए वक़्त दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई 7 दिसंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में कानून पहले से तय है और रास्ता नहीं रोका जाना चाहिए। किसानों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि 2020 में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने आदेश दिया था कि विरोध प्रदर्शन को ना हटाया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि लेकिन सड़क को ब्लॉक नहीं किया जा सकता है।
किसानों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि किसानों ने विरोध प्रदर्शन स्थल पर किसानों ने सड़क ब्लॉक नहीं किया है। अगर सरकार को परेशानी है तो विरोध प्रदर्शन करने के लिए हमें रामलीला मैदान आने दिया जाए। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि तब तो कुछ लोगों के लिए रामलीला मैदान ही घर हो जाएगा। वह रामलीला मैदान और जंतर मंतर पर बैठे रहेंगे
जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि आप किसी भी तरह विरोध करिए लेकिन इन तरह सड़क रोक कर नहीं रख सकते। कानून पहले से तय है हम बार-बार कानून तय करते नहीं रह सकते। आपको आंदोलन करने का अधिकार है लेकिन सड़क जाम नहीं कर सकते। जस्टिस कौल ने कहा मामला विचाराधीन होने पर भी उन्हें विरोध करने का अधिकार है लेकिन सड़कों को जाम नहीं किया जा सकता। उन सड़कों पर लोगों को आना-जाना पड़ता है। हमें सड़क जाम के मुद्दे से समस्या है।सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है, फिर आंदोलन क्यों? कभी-कभी आंदोलन वास्तविक कारण के लिए नहीं बल्कि अन्य कारणों के लिए होते हैं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कोर्ट में सिर्फ दो किसान संगठन आए। जस्टिस किशन कौल ने कहा कि हम यहां पर किसी को आने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के वकील से पूछा कि आपकी दलील है कि सड़क से ना हटाया जाए या सड़क को पुलिस ने ब्लॉक किया है? किसानों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने जिस तरह से बंदोबस्त किए हैं, उससे सड़कें जाम हो गई हैं, हमें रामलीला मैदान में आने दें।
सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जब संगठनों का जवाब आएगा तो तय करेंगे कि आगे आदेश जारी करें या फिर मामले को अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दें। सुप्रीम कोर्ट में सात दिसंबर को मामले की सुनवाई होगी।