नई दिल्ली, एजेंसी। दुनियाभर में कोरोना ने अपना व्यापक असरा दिखाया है। इसके संक्रमण से बचने के लिये सोशल डिस्टैंसिंग और लॉकडाउन जैसे फैसले किये गये हैं। यहीं नहीं लोग एक दूसरे के संपर्क में न आये इसके लिये निजी कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम जैसे तरीकों का भी इस्तेमाल किया। सरकार ने इसके लिये दिशानिर्देश भी जारी किये। कोरोना का असर लंबे समय तक रहेगा। एक कंपनी ने अपने सर्वे के आधार पर ये कहा है कि 70 फीसदी कंपनियां अपने कुछ कर्मचारियों को अगले छह महीने तक घर सेही काम करने को कह सकती हैं। सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन करने के लिये ऐसा किया जाएगा। नाइट फ्रेंक नाम की कंपनी ने अपने सर्वे में ये बात कही।
रियल स्टेट की सलाहकार इस कंपनी ने 230 से अधिक अधिकारियों का सर्वे किया, जो विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी कंपनियों में कॉर्पोरेट रियल एस्टेट पोर्टफोलियो की जिम्मेदारी संभालते हैं। सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों ने कहा कि लॉकडाउन के बाद से वर्क फ्रॉम होम की वजह से उनकी उत्पादकता प्रभावित नहीं हुई है।
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बता दें कि COVID-19 के संक्रमण को रोकने के लिए 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लागू है। हालांकि, कुछ स्थानों को छोड़कर, इस महीने की शुरुआत से राहत दी गई है। हालांकि, नाइट फ्रैंक सर्वे में पाया गया है कि दूरदराज के स्थानों से संचालन करते समय कनेक्टिविटी और परिवार की समस्या देखने को मिली है।
नाइट फ्रैंक इंडिया ने कहा, ’72 फीसद लोगों ने कहा कि वे अगले छह महीनों में वर्क फॉर्म होम की व्यवस्था जारी रखने की संभावना रखते हैं। लगभग 50 फीसदी लोगों ने कहा कि उनके छह फीसद से अधिक कार्यबल अगले छह महीनों में घर से काम करेंगे। सर्वेक्षण में भाग लेने वालों में से केवल 7 फीसद ने कहा कि कोई भी कर्मचारी घर से काम नहीं करेगा। हालांकि, COVID-19 की वजह से ऑफिस में स्पेस मेंटेन करके रखना होगा।
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