GST पर सरकार का बड़ा फैसला, न मानने पर छिन सकती है आपसे ये खास सुविधा

एक जुलाई 2017 को मोदी सरकार द्वारा जीएसटी का फैसला लिया था. और इस कदम को थोड़ा आसान बनाने के लिए सरकार ने अब तक काफी सारे बदलाव किए हैं. कुछ प्रोडक्ट्स को टैक्स स्लैब से बाहर किया तो कुछ प्रोडक्ट्स पर जीएसटी के दरें कम की गई. हाल ही में मोदी सरकार ने जीएसटी को लेकर एक और नया कदम उठाया है. इस फैसले का पालन न किए जाने पर सरकार एक खास सुविधा छीन सकती है.

दरअसल, आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-दिसंबर अवधि में केंद्रीय टैक्‍स ऑफिसर्स ने जीएसटी चोरी या नियम उल्लंघन के 3,626 मामले पाए हैं. इन मामलों के जरिए कुल 15,278.18 करोड़ रुपये की टैक्‍स चोरी का मामला उजागर हुआ. इस टैक्स चोरी को लेकर सरकार ने ये नया कदम उठाया है.

सरकार का नया फैसला

केंद्र सरकार अब एक ऐसा सिस्टम बनाने जा रही है जिसकी मदद से जो कारोबारी 6 महीने तक जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करेगा, सरकार उससे ई-वे बिल जेनरेट करने की सुविधा को छीन लेगी. यानि अब कारोबारियों को जीएसटी रिटर्न फाइल न करना महंगा पड़ सकता है. सरकार जल्दी ही इसकी अधिसूचना जारी करेगी. बता दें कि मोदी सरकार पहले ही टैक्स चोरी को रोकने के लिए अप्रैल 2018 में ई-वे बिल लागू कर चुकी है.

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ई-वे बिल क्या है

आसान भाषा में समझे तो ई-वे बिल एक दस्तावेज है. जब कोई कारोबारी किसी प्रोडक्ट को एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य में दूसरे सप्लायर तक पहुंचाता है तो ई-वे बिल जनरेट करना होता है. यह नियम उन सभी उत्पादों पर लागू होगा जिनकी कीमत 50,000 रुपये से ज्यादा है यानि 50,000 रुपए से ज्यादा सामान भेजने की जानकारी सरकार को देनी पड़ती है. ई-वे बिल को ewaybillgst.gov.in वेबसाइट पर जाकर हासिल किया जा सकता है.

ई-वे बिल छीन लेने का नुक्सान

अगर जीएसटी रिटर्न फाइल न करने पर सरकार ई-वे बिल जनरेट करने की सुविधा छीन लेती है तो कारोबारियों को नुक्सान उठाना पड़ सकता है. क्योंकि फिर उनको 50,000 से ज्यादा का सामान राज्य से बाहर या राज्य में ही भेजने में दिक्कत होगी. सरकार की नजर में यह कारोबार का अवैध तरीका होगा.

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