समझिए क्या है पेगासॉस सॉफ्टवेयर, जिसके जरिए हो रही व्हाट्सएप की जासूसी

सोशल मीडिया एप व्हाट्सएप जिस पर आप सुबह शाम यह सोच कर बेधड़क मैसेज भेजते रहते हैं वॉट्सऐप ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा है कि भारत में आम चुनाव के दौरान पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर निगरानी के लिए इजरायल पेगासॉस सॉफ्टवेयरकर कुछ लोगों को अपना निशाना बना रही है। सोशल मीडिया एप व्हाट्सएप के जरिए दुनिया के 1400 से ज्यादा लोगों की जासूसी की जा रही थी। इनमें 40 से ज्यादा भारतीय पत्रकार, नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं। इस हैकिंग/जासूसी के बारे में खुद व्हाट्सएप ने पुष्टि की है। व्हाट्सएप ने इसकी जानकारी अपने ब्लॉग में दी है। व्हाट्सएप ने कहा है कि जासूसी के लिए वीडियो कॉलिंग की गई और पेगासॉस नाम के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया। इसमें साऊदी अरब सहित कई सरकारें इसकी क्लाइंट हैं। यह मालवेयर एक मिस्डकाल से ही मोबाइल फोन में इंस्टाल हो जाता था तथा डिवाइस में मौजूद सारी जानकारियां हासिल कर सकता था।  खुलासा होने के बाद भारत सहित पूरी दुनिया में हड़कम्प मचा है…।

तो आइए इस पेगासॉस सॉफ्टवेयर के बारे में विस्तार में जानते हैं कि यह क्या-क्या कर सकता है और इससे बचने के तरीके क्या-क्या हैं?

यह व्हाट्सएप वायस और वीडियो कॉल के जरिए मोबाइल फोन में पहुंचता है। आप चाहे कॉल रिसीव करें या न करें। जिन्होंने रात को कॉल नहीं सुनी उन्हें सुबह इसकी कोई जानकारी भी नहीं मिलती कि उनके फोन पर कोई मिसकॉल आया था। फोन में पेगसॉस इंस्टॉल होते ही अपने ऑपरेटर तक हर कॉल की जानकारी, कीपेड इस्तेमाल का रिकार्ड, सभी संदेश और इंटरनेट हिस्ट्री पहुंचाता है। यह खाली समय में मोबाइल फोन का माइक्रोफोन और कैमरा का भी इस्तेमाल करता है। व्हाट्सएप ने इजरायल की एनएसओ ग्रुप के खिलाफ फेडरल कोर्ट, सैन फ्रांसिस्को में मुकदमा दायर किया है जिसमें कहा गया है कि एनएसओ ग्रुप ने जासूसी सॉफ्टवेयर Pegasus के जरिए भारत समेत कई देशों के करीब 1,400 पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के चैट की जासूसी की है। जासूसी के लिए इन सभी 1,400 लोगों के फोन पर मैलवेयर (वायरस) भेजे गए। यह जासूसी अप्रैल-मई, 2019 के बीच हुई है जिसमें दुनियाभर के 20 देशों के लोगों को शिकार बनाया गया। NSO ग्रुप/Q साइबर टेक्नोलॉजीजी ने इस स्पाइवेयर (जासूसी वाले सॉफ्टवेयर) को तैयार किया है। पिगासस का दूसरा नाम Q Suite भी है। पिगासस दुनिया के सबसे खतरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर्स में से एक है जो एंड्रॉयड और आईओएस डिवाइस की जासूसी कर सकता है। एक बार फोन में इंस्टॉल हो जाने के बाद इस आसानी से हटाया नहीं जा सकता है।

क्या कर सकता है पेगासॉस

पेगासॉस स्पाईवेयर वह फोन में आने वाला और जाने वाला सारा कंटेंट पढ़ सकता है और ट्रांसमिट कर सकता है तथा फोन कैमरे का इस्तेमाल कर सकता है। जिन्हें निशाना बना गया, उनमें न्यायविद, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, राजनीतिक विरोधी, राजदूत और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हैं।

व्हाट्सएप ने ऐसे पकड़ा

व्हाट्सएप की एक जांच में पाया गया कि जनवरी 2018 से मई 2019 के बीच इसके विडियो कॉलिंग ऑप्शन का इस्तेमाल कर मलवेयर हमला किया गया। इसके लिए कुछ व्हाट्सएप अकाउंट बनाए गए और इनके जरिए ही वायरस कोड भेजे गए। ये अकाउंट बनाने के लिए अलग-अलग देशों में रजिस्टर्ड नंबर इस्तेमाल किए गए। इनमें साइप्रस, इजरायल, ब्राजील, इंडोनेशिया, स्वीडन और नीदरलैंड शामिल है। यह वायरस किसी भी आईपाड और आईफोन से भी डाटा चुरा सकता था। व्हाट्सएप ने स्पाईवेयर अटैक करने वाली कंपनी की पहचान एनएसओ ग्रुप के रूप में की है। इस स्पाईवेयर का नाम पेगासॉस है। व्हाट्सएप ने अमरीकी फेडरल कोर्ट में इजरायली कंपनी के खिलाफ प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और 75 हजार डॉलर से अधिक आर्थिक क्षति का केस दायर किया है।

किसके लिए जासूसी

इजरायली मीडिया के मुताबिक एनएसओ ग्रुप की सेवाएं लेने के लिए साऊदी अरब ने 5.5 करोड़ डॉलर खर्च किए। यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई। खासकर उनकी जो बहरीन और साऊदी अरब में कार्यरत हैं। यह भी कहा जा रहा है कि पत्रकार जमाल खशोगी को भी इसी स्पाईवेयर से ट्रैक किया गया था। मैक्सिको के ड्रग माफिया पर काम करने वाले पत्रकारों की भी पेगासॉस के जरिए जासूसी करवाई गई। हालांकि 2016 की प्राइस लिस्ट के मुताबिक एनएसओ ग्रुप अपने एक ग्राहक से करीब 4.6 करोड़ रुपए (650,000 डॉलर) लेता था।

एनएसओ को जानें

इजारायल का एनएसओ ग्रुप साइबर खुफिया कंपनी है। पहले इसे क्यू साइबर टेक्नॉलोजी के नाम से जाना जाता था। यह ऑनलाइन जासूसी करती है। इसे इजरायली सेना से सेवानिवृत्त अधिकारियों ने शुरू किया था।

पेगासॉस की हिटलिस्ट में भारतीय

  1. अंकित ग्रेवाल : चंडीगढ़ निवासी वकील। एल्गार परिषद केस में सुधा भरद्वाज के वकील हैं।
  2. आनंद तेलतुम्बड़े : शिक्षाविद और एल्गार परिषद केस में आरोपी।
  3. विवेक सुंदर : मुंबई निवासी सामाजिक व पर्यावरण कार्यकर्ता, कबीर कला मंच डिफेंस कमेटी के सदस्य।
  4. बेला भाटिया : छत्तीसगढ़ की मानवाधिकार कार्यकर्ता।
  5. शुभ्रांशु चौधरी : बीबीसी के पूर्व पत्रकार और छत्तीसगढ़ में शांति कार्यकर्ता।
  6. अशीश गुप्ता : दिल्ली निवासी द पिपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के कार्यकर्ता।
  7. निहाल सिंह राठौड़ : नागपुर निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील, एल्गार परिषद केस में आरोपी सुरेंद्र गाडलिंग के वकील।
  8. सरोज गिरी : दिल्ली यूनिवर्सटी में राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर।
  9. देग्री प्रसाद चौहान : छत्तीसगढ़ के दलित अधिकार कार्यकर्ता।
  10. सिद्धांत सिब्बल : दिल्ली में वियॉन के रक्षा संवाददाता।
  11. रुपाली जाधव : कबीर कला मंच की सदस्य।
  12. सीमा आजाद : इलाहाबाद निवासी पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज की सदस्य।
  13. शालिनी गेरा : एल्गार परिषद केस में वकील और पीयूसीएल छत्तीसगढ़ की सचिव।
  14. राजीव शर्मा : नई दिल्ली निवासी स्तम्भकार और विश्लेषक।
  15. अजमल खान : दिल्ली निवासी विद्वान जिन्होंने रोहित वेमुला की मौत के बाद प्रदर्शन में हिस्सा लिया था।
  16. संतोष भारतीय : चौथी दुनिया के संपादक और फर्रुखाबाद से पूर्व लोकसभा सांसद

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