लखनऊ: यूपी में लंबे समय से अटके 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती (Assistant Teacher Recruitment) मामले में राज्य सरकार ने अपनी गलती स्वीकार की है। सोमवार को हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में सरकार की ओर से कहा गया कि 31661 पदों पर कम मेरिट के कुछ अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिल गई जबकि अधिक मेरिट वालों को नहीं मिल सकी।
सरकार ने मानी गलती
इलाहाबाद हाईकोर्ट में संजय कुमार यादव व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह ने पक्ष रखा। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई इस सुनवाई में उन्होंने कहा कि एनआईसी और बेसिक शिक्षा परिषद से हुई इस गलती के जांच के लिए सरकार ने कमेटी गठित कर दी है।
निरस्त होंगी गड़बड़ी वाली नियुक्तियां
राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि भर्ती में जो भी गलतियां हुई हैं, उन्हें सुधारा जाएगा। इसके साथ ही कम गुणांक वालों को दिए गए नियुक्ति पत्र निरस्त कर अधिक गुणांक पाने वालों का चयन किया जाएगा। न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 17 नवंबर की तारीख तय की है।
कम अंक वालों को काउंसलिंग के लिए आया था बुलावा
अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने अपनी याचिका में कहा था कि एक याची ने मिर्जापुर जिले से आवेदन किया था। ओबीसी वर्ग में उसका शैक्षणिक गुणांक 69.5 लेकिन उसे काउंसलिंग के लिए नहीं बुलाया गया। वहीं ओबीसी वर्ग में ही उससे कम 68.5 शैक्षणिक गुणांक और उससे कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के बुलाया गया है। जबकि इससे पूर्व मई में जारी सूची में याची का नाम काउंसलिंग की लिस्ट में था। इसी तरह की कई शिकायतों के बाद मामला एकबार फिर कोर्ट पहुंचा है।