लखनऊ, राजसत्ता एक्सप्रेस। उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग की सबसे बड़ी अनदेखी सामने आई है। एक टीचर 13 महीनों से 25 कस्तूरबा गांधी स्कूलों से सैलरी उठा रही थी। 13 माह तक किसी भी अधिकारी को इस बात की भनक नहीं लगी। जब मामले का खुलासा हुआ तो टीचर अनामिका करीब एक करोड़ रुपये की सैलरी उठा चुकी है। अनामिका शुक्ला को 25 कस्तूरबा गांधी स्कूलों में फर्जी तरीके से ‘नौकरी’ करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। कासगंज पुलिस ने शनिवार, 6 जून को उसे गिरफ्तार किया। आरोपी टीचर की गिरफ्तारी की जानकारी कासगंज की बेसिक शिक्षा अधिकारी अंजलि अग्रवाल ने दी।
इस मामले के खुलासे के बाद विभाग के अधिकारियों के पैरों तले जमीन खिसक गई। बुनियादी शिक्षा अभियान कासगंज की अधिकारी अंजलि अग्रवाल ने कहा, ‘जब हमने पाया कि अनामिका शुक्ला के दस्तावेज कई जगह पोस्टिंग के लिए सूचीबद्ध हैं तो शिक्षिका को एक नोटिस भेजा गया था, जिसके बाद वह अपना इस्तीफा देने के लिए हमारे कार्यालय आई। उसे पुलिस को सौंप दिया गया है।’
We got info through media that a teacher has been posted at 25 places. It has been found that there have been postings at Baghpat, Aligarh, Amethi, Saharanpur, & Ambedkar Nagar using records of Anamika Shukla. Investigation underway: Satish Dwivedi, UP Education Min (5.6.20) pic.twitter.com/etbfZPD371
— ANI UP (@ANINewsUP) June 6, 2020
धुंधली तस्वीर से दे रही थी धोखा
शिक्षिका अनामिका शुक्ला के धुंधले दस्तावेजों ने प्रदेश के 25 जिलों के अधिकारियों को धोखा दे दिया। उसके दस्तावेजों में छपी फोटो स्पष्ट नहीं होने के कारण पहचान ही नहीं हो सकी है। महज रोल नंबर के आधार पर ही सत्यापन होते रहे और उसकी जगह कोई और नौकरी करता रहा। मानव संपदा पोर्टल पर जब शिक्षकों की आईडी फीडिंग का काम शुरू हुआ तब एक ही नाम से कई जगह नौकरी करने का मामला सामने आया। कासगंज में गिरफ्तार युवती अनामिका के नाम से नौकरी कर रही थी।
ऐसे सामने आया फर्जीवाड़ा
बीएसए ने अलग-अलग जिलों में नौकरी करने वाली शिक्षिका के दस्तावेजों से कासगंज की शिक्षिका के दस्तावेजों का मिलान किया तो सभी दस्तावेजों में अनामिका की तस्वीर काफी धुंधली मिली। शैक्षिक दस्तावेजों और अन्य पहचान पत्रों पर लगे फोटो से स्पष्ट मिलान नहीं हो पा रहा, जबकि अनामिका शुक्ला के नाम से जो दस्तावेज हैं, वे असली ही हैं।