समाजवादी पार्टी से निष्कासन के बाद ऋचा सिंह ने इलेक्शन कमीशन को लेटर लिखकर अपने ही दल के विरुद्ध एक्शन की मांग की है। उन्होंने कहा कि उनका निष्कासन अलोकतांत्रिक है। गौरतलब है कि ऋचा सिंह प्रयागराज जनपद में इलाहाबाद पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से सपा कैंडिडेट के रूप में दो बार असेंबली इलेक्शन लड़ चुकी हैं। ऋचा सिंह को 16 फरवरी को समाजवादी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
सपा आलाकमान ने आधिकारिक रूप से उन्हें निष्कासित करने का कोई वजह नहीं बताई है। गौरतलब है कि ऋचा सिंह ने रामचरितमानस पर समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के विरोध में आवाज उठाई थी। मौर्य ने रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों को हटाने की मांग की थी, जिसमें दावा किया गया था कि वे दलितों और अन्य पिछड़े समुदायों के बारे में नीची बातें करते हैं।
निर्वाचन आयोग को लिखे अपने लेटर में ऋचा सिंह ने दावा किया कि दल ने उन्हें बिना किसी कारण, पूर्व चेतावनी या कारण बताओ नोटिस के निष्कासित कर दिया। अपने निष्कासन के बाद ऋचा ने दावा किया कि रामचरितमानस पर उनकी टिप्पणी पर समाजवादी पार्टी के एमएलसी मौर्य के विरुद्ध बोलने के लिए उन्हें दंडित किया गया था।
उन्होंने ने कहा, “कोई कार्रवाई करने से पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए। सभी को अपना पक्ष पेश करने का उचित अवसर दिया जाना चाहिए। समाजवादी पार्टी ने मुझे कभी भी कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया।” सिंह ने आगे कहा कि इस तरह की कार्रवाई दल के संविधान के अनुच्छेद 30 का उल्लंघन करती है।