UPTET पेपर लीक मामले में जाँच आगे बढ़ने के साथ ही नए खुलासे सामने आ रहे हैं। बीते 28 नवंबर को प्रदेश में TET की परीक्षा आयोजित की गयी थी, लेकिन परीक्षा से पहले पेपर लीक होने की खबर सामने आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर परीक्षा रद्द कर दी गयी थी। इस पूरे मामले की जांच STF को सौंपी गयी थी, जिसके जांच में बड़ा खुलासा खुलकर सामने आ रहा है।
UPSTF ने जांच में पाया है कि UPTET का प्रश्नपत्र परीक्षा आयोजित होने के 15 दिन पहले ही लीक हो गया था। STF के सूत्रों के मुताबिक पेपर लीक कराने वाले गिरोह ने प्रिंटिंग प्रेस के सदस्यों से संपर्क साधा और उन्हें पैसों का लालच देकर पेपर लीक कराया था। लीक पेपर से धनार्जन के उद्देश्य से गिरोह ने कई छात्रों से मोटी रकम भी वसूली थी।
STF के सूत्रों के मुताबिक, पेपर प्रिंट कराने के लिए फिनसर्व लिमिटेड प्रिंटिंग प्रेस को टेंडर दिया गया था। जांच से पता चला कि कंपनी के पास पर्याप्त स्टाफ ही नहीं था ना ही कोई संसाधन बावजूद इसके उसे टेंडर दे दिया गया। इस पेपर को पूर्णतः पारदर्शी तरीके से आयोजित कराने की जिम्मेदारी 1995 बैच के पीसीएस अधिकारी संजय उपाध्याय को दी गयी थी। उन्होंने कंपनी को 13 करोड़ 23 लाख प्रश्न पत्र मुद्रित करने का आर्डर दिया था लेकिन प्रश्नपत्र मुद्रण के दौरान कंपनी ने आवश्यक मानकों को ध्यान में नहीं रखा और प्रश्नपत्र लीक हो गया।