उत्तर प्रदेश: मुठभेड़ से जुड़े 20 मामलों में दायर की गई एक जैसी एफआईआर!

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार बनने के बाद से जिस तरह उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है उस पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

राष्ट्रीय मनावाधिकार आयोग ने भी मई में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर 17 एंकाउंटर के मामलों में  जांच के आदेश दिए थे. वहीं पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था. संदिग्ध तरीकों से हो रहे इन मुठभेड़ों को लेकर विपक्ष भी कई बार सरकार को आड़े हाथों ले चुका है.  इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट एक बार फिर इन मुठभेड़ों को लेकर सरकार के लिए मुसीबत बन सकती है.

जब भी इन मुठभेड़ों पर सवाल उठते हैं तो सरकार इसे प्रदेश में अपराध को खत्म करने की अपनी मुहीम बताकर टाल देती है. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पुलिस को खुली छूट देने की बात अपने भाषण में कह चुके हैं. लेकिन अपराध से निपटने के सरकार के तरीकों पर बार-बार सवाल उठ रहे हैं.

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा की गई छानबीन में सामने आया है कि मुठभेड़ से जुड़े 20 मामलों में एक जैसी एफआईआर लिखी हुई हैं. छानबीन के मुताबिक मार्च 2017 से लेकर 4 अगस्त 2018 तक उत्तर प्रदेश के 24 जिलों में कुल 63 मुठभेड़ हुई हैं.

अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक जब उन्होने 63 मुठभेड़ों में से 20 की जांच की तो पाया कि इन मामलों में एक जैसी एफआईआर दायर की गई है.

रिपोर्ट से उभरी कुछ जानकारियां

  • लगभग 12 मामलों में दायर की गई एफआईआर में बताया गया है कि अपराधियों के बारे में पुलिस को उनके खबरियों ने बताया और वो सभी अपराधी मोटरसाइकल पर थे.
  • 11 एफआईआर में पुलिस ने लिखा है कि उन्होने ‘सीखाए गए तरीकों’ के अनुसार काम किया.
  • 18 एफआईआर में लिखा हुआ है कि पुलिस ने मुठभेड़ के वक्त अदम्य साहस का प्रदर्शन किया.
  • 16 एफआईआर में बताया गया है कि उन्होने जान की परवाह किए बिना काम किया, इन 16 एफआईआर में से 9 में उन्हें बुलेट प्रूफ जैकेट पहने हुए गोलियां लगी.
  • 18 एफआईआर में बताया गया है कि अपराधी मारा गया लेकिन जो उसके साथ था वो फरार हो गया.
  • 8 एफआईआर में लिखा गया है कि मुठभेड़ के समय उन्होने सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग के निर्देशों का पूर्ण रूप से पालन किया.
  • वहीं 12 एफआईआर में लिखा हुआ है कि पुलिस ने मुठभेड़ के गवाह ढूंढ़ने की कोशिश की लेकिन कुछ अंधेरे के कारण औऱ कुछ डर की वजह से मिल नही पाए. लगभग सभी 20 एफआईआर में ये भी लिखा हुआ है कि उन्होने आत्म रक्षा में न्यूनतम फायरिंग की.

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