उत्तराखंड के नाम एक बड़ा रिकॉर्ड दर्ज होने वाला है. समान नागरिका संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा. शुक्रवार को मुख्य सेवक सदन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यूसीसी समिति की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने मसौदा समिति के सदस्यों के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को यूसीसी मसौदा रिपोर्ट सौंप दी है. अब समान नागरिक संहिता (UCC) पर कानून पारित करने के लिए उत्तराखंड विधानसभा का चार दिवसीय विशेष सत्र 5 से 8 फरवरी तक बुलाया गया है
जानकारी के मुताबिक, विधानसभा में विधेयक के रूप में पेश करने से पहले राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस मसौदे पर चर्चा की जाएगी. उत्तराखंड में साल 2022 में विधानसभा चुनावों के दौरान जनता से वादा किया गया था. इसी के तहत यूसीसी को लागू करने की तैयारी है. जानकारों का मानना है कि इसी वादे के साथ भाजपा उत्तराखंड की सत्ता में आई थी. लगातार दूसरी चुनावी जीत को भाजपा ने यूसीसी के लिए लोगों के जनादेश के रूप में देखा था. धामी सरकार ने मार्च, 2022 में राज्य मंत्रिमंडल की पहली बैठक में इसके लिए एक मसौदा तैयार करने के लिए समिति गठित करने का फैसला लिया था.
#WATCH | Dehradun | UCC Committee Chairperson Justice Ranjana Prakash Desai along with the drafting committee members hand over the UCC draft report to Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami in a program organized at Mukhya Sevak Sadan. pic.twitter.com/xRMG700eWu
— ANI (@ANI) February 2, 2024
यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए बाद मई, 2022 में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया था. दावा किया जा रहा है कि यूसीसी लागू होने पर उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी अपनाने वाला देश का पहला राज्य बनेगा. बताया जाता है कि यह पुर्तगाली शासन के दौरान गोवा में चालू था. यूसीसी सभी नागरिकों के लिए चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, एक समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों के लिए एक कानूनी व्यवस्था देता है.
यूसीसी मसौदा समिति में सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल भी शामिल हैं. इनको कुल चार बार विस्तार दिया गया है. अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए पैनल को विस्तार दिया गया था. जानकारी के अनुसार, इस मसौदे के लिए 2.33 लाख लिखित सुझाव मिले थे. वहीं कमेटी के सदस्यों ने करीब 60 बैठकें कीं, जिनमें लगभग 60,000 लोगों से बातचीत की गई है.