देहरादून: कोरोना महामारी के बीच देवभूमि उत्तराखंड में बीते डेढ़ महीने से बंद पड़ा राज्य सचिवालय आम लोगों के लिए अभी तक नहीं खुल पाया है। इसके कारण लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल राज्य सचिवालय प्रशासनिक व्यवस्था में एक कंट्रोल रूम का काम करता है। यहां लोग अपनी शिकायतों और फाइलों के फॉलोअप को लेकर आते हैं। लेकिन आज सचिवालय के गेट आम लोगों के लिए बंद पड़े हैं। खबरों की मानें तो बीते तीन सितंबर से कोरोना पर नियंत्रण का बहाना बनाकर राज्य सचिवालय को आम जनता के लिए अब तक बंद रखा है।
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निराश होकर लौट रहे हैं लोग
सचिवालय में पास लेकर अंदर जाने की व्यवस्था को भी सस्पेंड कर दिया गया है। इसका परिणाम यह है कि जरूरतमंद लोग भी दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं। हालात यह हैं कि दूर गांव से आने वाले लोगों को बिना काम पूरा हुए खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है। नैनबाग से आए राज्य आंदोलनकारी सोहन लाल सचिवालय में अपने काम के सिलसिले में आए थे, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें सचिवालय के गेट पर रोकर वापस लौटा दिया। सोहनलाल का कहना है कि वो अपना राज्य आंदोलनकारी का कार्ड भी घर भूल आए थे। लेकिन इसके अलावा उसके पास आधार कार्ड था। सोहनलाल ने एंट्री पास बनाना चाहा तो पता लगा कि पास बनाने की प्रक्रिया भी बंद कर दी गई है। नतीजा घंटों सचिवालय के गेट पर बैठे रहने के बावजूद यह बुर्जुग राज्य आंदोलनकारी निराश हो वापस घर लौट गया।
सब कुछ ओपन, तो फिर सचिवालय के गेट क्यों बंद?
सचिवालय के मुख्य स्वागत अधिकारी अरविंद कुमार चंदोला के मुताबिक सचिवालय प्रशासन के आदेश के बाद तीन सितंबर से पास बनाने की व्यवस्था भी सस्पेंड की गई है। केवल और केवल सचिवालय स्टॉफ और मीटिंगों में भाग लेने वाले अफसरों को ही सचिवालय में प्रवेश दिया जा रहा है। लेकिन इन हालातों के बीच सवाल आता है कि क्या नौकरशाही के लिए इस राज्य में अलग नियम हैं। मतलब अगर बाजार से लेकर सभी ऑफिस , मॉल, काम्पलेक्स, मल्टीप्लेक्स, पार्क, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साथ सबकुछ खोल दिया गया है, तो फिर आम लोगों की सहुलियत के लिए राज्य सचिवालय अब तक क्यों बंद पड़ा है ?