उत्तराखंड: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की ओर से ‘चारधाम महामार्ग विकास परियोजना’ को दी मंजूरी पर रोक लगा दी है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत ऑल-वेदर संपर्क मार्ग के जरिये यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ा जाना है. न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने केंद्र व उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले पर अगली सुनवाई 15 नवंबर को होगी सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि एनजीटी पहले ही परियोजना के संबंध में आदेश दे चुका है.
याची एनजीओ ‘सिटिजंस फॉर ग्रीन दून’ के वकील संजय पारिख ने कहा कि एनजीटी का आदेश सुप्रीम कोर्ट के 27 अगस्त को दिए आदेश के मुताबिक नहीं है. इस पर पीठ ने चारधाम परियोजना पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी कर केंद्र व राज्य सरकार से 15 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
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एनजीटी ने 26 सितंबर को निगरानी समिति का गठन करते हुए परियोजना को मंजूरी दे दी. अधिकरण ने कहा कि सभी पर्यावरणीय चिंताओं को जिम्मेदार और स्वतंत्र निगरानी प्रणाली के जरिये दूर किया जा सकता है. यह प्रणाली परियोजना के कार्यान्वयन के दौरान पर्यावरण संबंधी सुरक्षा उपायों की निगरानी कर सकती है.
8542.41 करोड़ रुपये के 37 कार्य हो चुके स्वीकृत
11,700 करोड़ रुपये लागत की इस परियोजना के तहत 8542.41 करोड़ रुपये के 37 कार्य स्वीकृत हो चुके हैं. 6683.58 करोड़ की 28 योजनाओं पर काम शुरू हो चुका है. 246.39 करोड़ के तीन कार्य की निविदाओं के अनुबंध हो चुके हैं. 1374.67 करोड़ की चार योजनाओं की निविदाएं प्राप्त हो गई हैं 237.75 करोड़ के दो कार्य के लिए निविदाएं आमंत्रित की जा चुकी हैं.
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81.50 प्रतिशत वन भूमि हस्तांतरण का काम पूरा
परियोजना के तहत 81.50 प्रतिशत वन भूमि के हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इसके तहत 841.46 किमी लंबाई में भूमि हस्तांतरित होनी है. इसमें से 685.70 प्रतिशत भूमि के हस्तांतरण की स्वीकृति हो चुकी है.