कोर्ट के आदेश के बाद पहाड़ नहीं हिमालय के नीचे आए रामदेव

बीते चार सालों से रिकॉर्ड तोड़ कमाई का पहाड़ खड़ा करने वाले बाबा रामदेव को बड़ा झटका लगा है। आसमान छूती बाबा की कंपनी दिव्य फॉर्मेसी को हाईकोर्ट ने जमीन का दर्शन कर दिया है। दरअसल, बाबा हिमालय की चोटियों पर उगने वाली जड़ी बूटियों को कई साल से लगातार महंगे दामों में बेचकर मुनाफा कमा रहे थे। जबकि बायो डायवर्सिटी कानून 2002 के तहत जड़ी बूटियों और हिमालय के प्राकृतिक संसाधनों पर वहां के आदिवासियों को पहला हक मार रहे थे। जिसके बाद हाईकोर्ट ने दिव्य फार्मेसी को कानून तोड़ने का जिम्मेदार पाते हुए आदिवासियों का हिस्सा देने का आदेश दिया है।

पतंजलि और दिव्य फॉर्मेसी ने ऐसे मारा हक

विवाद उस वक्त हुआ जब उत्तराखंड बायो डायवर्सिटी बोर्ड ने बायो डायवर्सिटी एक्ट 2002 के एक प्रावधान के तहत दिव्य फार्मेसी की बिक्री के आधार पर लेवी फीस मांगी थी. जिसके खिलाफ दिव्य फार्मेसी उत्तराखंड हाईकोर्ट चली गई, लेकिन कोर्ट उनकी एक नहीं सुनी। और कमाई का आधा प्रतिशत का हिमालय के आदिवासियों को हिस्सेदार बनाने का आदेश दे दिया। जिसके खिलाफ दिव्य फार्मेसी अपील करने की बात कह रही है।

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दो करोड़ का सामान बनाती है रोजाना

उत्तराखंड बायो डायवर्सिटी बोर्ड ने दलील दी विदेशी और घरेलू के नाम पर भेदभाव से एक्ट का मकसद ही खत्म हो जाएगा. 1995 में बनाए गए दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की कंपनी है दिव्य फार्मेसी. दिव्य फार्मेसी और पतंजलि की वेबसाइट के मुताबिक, कंपनी के पास हर रोज 50,000 किलो हर्ब को प्रोसेस करने की क्षमता है, जिनसे रोजना दो करोड़ रुपए के प्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं.

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सदियों पुराना ज्ञान और परंपरा

हाईकोर्ट के मुताबिक बॉयोलॉजिकल रिसोर्स देश की संपत्ति हैं, लेकिन वहां के स्थानीय लोगों का भी उसमें हक है, क्योंकि उसके इस्तेमाल का ज्ञान उन्हें मालूम है. ये परंपरा सदियों से चली आ रही है. फैसले में कहा है कि उत्तराखंड बायोडायवर्सिटी बोर्ड के पास दिव्य फार्मेसी से फीस मांगने का अधिकार है. फीस पुरानी तारीख से वसूली जाए या नहीं ये तय करने का अधिकार कोर्ट ने बोर्ड को दे दिया है. लेकिन दिव्य फार्मेसी के मुताबिक वो इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी.

कंपनियां तैयार, दिव्य फार्मेसी को इंकार

स्वदेशी की बात करने वाली दिव्य फार्मेसी के अलावा दूसरी तीस कंपनिया बायो डायवर्सिटी एक्ट को मानते हुए हिस्सा देने के समझौते कर लिए है। लेकिन दिव्य फार्मेसी जिद पर अड़ी हुई है।  अडानी ग्रुप से भिड़ी पतंजलि

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पतंजली और दिव्य फार्मेसी बीते कुछ सालों से लगातार अडियल रवैया अपना रही है। बीते दिनों पतंजली डालडा बनाने वाली कंपनी रुचि सोया को लेकर देश की दस बड़ी कंपनियों में से एक अडानी ग्रुप से भी भिड़ गई। अडानी ग्रुप रुचि सोया को खरीदने के लिए बोली लगा चुका था। लेकिन खाने के तेल के व्यवसाय  में आगे निकलने की होड़ में पतंजलि ने रुचि सोया को खरीदने के लिए अडानी से ज्यादा भाव देकर कंपनी खरीदने का दावा पेश कर दिया। जिसके बाद दोनों में काफी खींचतान हुई।

10 प्रतिशत गिरी ब्रिक्री

योगगुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि जहां अपने अडियल रवैये के लिए बदनाम हो रही है वहीं बाजार में उसकी साख गिर रही है। पतंजलि को 5 साल में पहली बार बिक्री 10 परसेंट की गिरावट का सामना करना पड़ा है।

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