नई दिल्ली, राजसत्ता डेस्क। बॉलिवुड के हरफन मौला कलाकार इरफान खान का निधन बुधवार सुबह हो गया। उन्होंने भारतीय सिनेमा में अपनी अलग पहचान बनायी थी। इरफान अपने बेबाकी के लिये भी जाने जाते थे। उन्होंने एक बार बकरीद पर दी जानेवाली कुर्बानी का विरोध करते हुये मुस्लिम धर्म गुरुओं पर निशाना साधा था। उनका कहना था कि किसी की जान लेने से किसी को पुण्य कैसे मिल सकता है। इस बयान के बाद वे तमाम मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गये थे।
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मौलवियों ने इरफान के इस बयान की आलोचना की थी और कहा कि इरफान को अपने काम पर ध्यान देना चाहिये। इरफान ने बेखौफ अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने इसके जवाब में फेसबुक पर लिखी एक पोस्ट में कहा कि वह धर्मगुरुओं द्वारा चलाए जाने वाले देश में नहीं रह रहे हैं।
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इस पोस्ट में इरफान ने शानदार जवाब देते हुये लिखा कि ‘कृपया भाइयों, जो भी मेरे बयान से दुखी हैं, या तो आप आत्मविश्लेषण के लिए तैयार नहीं हैं, या फिर आपको निष्कर्ष तक पहुंचने की बहुत जल्दी है। मेरे लिए धर्म व्यक्तिगत आत्मविश्लेषण है, यह करुणा, ज्ञान और संयम का स्रोत है, यह रूढ़ीवादिता और कट्टरता नहीं है। धर्मगुरुओं से मुझे डर नहीं लगता। शुक्र है भगवान का कि मैं धर्म के ठेकेदारों द्वारा चलाए जाने वाले देश में नहीं रहता।’
इसके अलावा इरफान ने कहा था कि किसी की जान लेकर आप क्या बलिदान कर रहे हैं? इरफान ने कहा था कि ‘जिस वक्त यह प्रथा चालू हुई होगी, उस वक्त भेड़-बकरे भोजन के मुख्य स्रोत थे। तमाम लोग थे जिन्हें खाने को नहीं मिलता था। उस वक्त भेड़-बकरे की कुर्बानी एक तरह से अपनी कोई अज़ीज़ चीज़ कुर्बान करना और दूसरे लोगों में बांटना था। आज के दौर में बाजार से दो बकरे खरीद कर लाए तो उसमें आपकी कुर्बानी क्या है। हर आदमी दिल से पूछे, किसी और की जान लेने से उसे कैसे सवाब मिल जाएगा, कैसे पुण्य मिलेगा।’
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‘इस्लाम को बदनाम करने वालों के नाम फतवा’
इरफान ने फतवा देने वालों को आंड़े हाथों लेते हुये कहा कि ‘जो फतवा देने वाले लोग हैं, उन लोगों को इस्लाम के नाम को बदनाम करने वालों के खिलाफ फतवा देना चाहिए। उनके खिलाफ देना चाहिए जो आतंकवाद की दुकान चला रहे हैं, जिन्होंने आतंकवाद के बिजनेस खोल रखे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मैं किसी ऐसे देश में नहीं रहता जहां धार्मिक कानून चलता है। मुझे इस पर गर्व है।’