कौन हैं आचार्य प्रमोद कृष्णम जिन्हें कांग्रेस ने 6 साल के लिए दिखाया पार्टी से बाहर का रास्ता?

कौन हैं आचार्य प्रमोद कृष्णम जिन्हें कांग्रेस ने 6 साल के लिए पार्टी से निकाला है?

कांग्रेस ने आचार्य प्रमोद कृष्णम को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। यह कार्रवाई पार्टी आलाकमान ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के आधार पर की है।हाल ही में आचार्य प्रमोद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और उन्हें संभल में कल्कि धाम के शिलान्यास कार्यक्रम का न्योता दिया था।आइए जानते हैं कि आचार्य प्रमोद कौन हैं और उन्हें क्यों पार्टी से निकाला गया।

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से आचार्य प्रमोद के निष्कासन को लेकर एक आदेश जारी किया गया है।शनिवार देर शाम जारी आदेश में कहा गया कि अनुशासनहीनता की शिकायतों और पार्टी के खिलाफ बार-बार बयानबाजी को ध्यान में रखते हुए माननीय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आचार्य कृष्णम को तत्काल प्रभाव से 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने के उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

आचार्य प्रमोद का जन्म 4 जनवरी, 1965 को संभल के गांव एंचोड़ा कम्बोह में हुआ है। वह ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते हैं।आचार्य प्रमोद एक धार्मिक उपदेशक और संभल स्थित कल्कि धाम के पीठाधीश्वर भी हैं।उनकी गिनती उत्तर प्रदेश के बड़े नेताओं में होती है। उन्होंने 2014 में संभल और 2019 में लखनऊ से चुनाव लड़ा और हार गए।वह कांग्रेस की उत्तर प्रदेश सलाहकार परिषद का हिस्सा भी थे।उन्हें प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता था।

आचार्य कृष्णम ने हाल में कांग्रेस नेताओं को निशाने पर लिया था।उन्होंने कहा कि कांग्रेस में कुछ बड़े नेता ऐसे हैं, जिन्हें हिंदू शब्द से ही नफरत है और कुछ कांग्रेसी ऐसे नेता हैं, जिन्हें राम मंदिर से ही नहीं, बल्कि भगवान राम से भी नफरत है।उन्होंने कहा कि सारी दुनिया जानती है कि राम मंदिर के निर्माण को रोकने के प्रयास हुए, जिससे सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले करोड़ों लोगों की आस्था को ठेस पहुंची है।

आचार्य प्रमोद ने पार्टी अध्यक्ष खड़गे द्वारा बूथ कार्यकर्ताओं की तुलना कुत्ते से करने पर भी तंज कसा था।उन्होंने कहा था, “बड़े नेताओं को अपनी मर्यादा और भाषा का ध्यान रखना चाहिए। कार्यकर्ताओं से पार्टी बनती है। किसी भी पार्टी का कार्यकर्ता कर्मठ और कर्मवीर होता है। इनके प्रति जो भाषा का प्रयोग किया गया, उससे न सिर्फ मेरा मन, बल्कि तमाम कार्यकर्ताओं का मन को ठेस पहुंची है।”

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