पत्नी ने ‘करवा चौथ’ का व्रत रखने से किया इनकार तो पति ने मांगा तलाक, अब कोर्ट पहुंचा मामला

पत्नी ने ‘करवा चौथ’ का व्रत रखने से किया इनकार तो पति ने मांगा तलाक, अब कोर्ट पहुंचा मामला

पति और पत्नी को रिश्ता विश्वास की डोर पर ठिका होता है। दोनों में खट्टी मीठी नोकझोंक संबंधों को मजबूत बनाती है। लेकिन बार पुरुष और महिला कई दिनों तक साथ रहने के बावजूद उनके विचार नहीं मिलते है। मामला इतना बढ़ जाता है कि तलाक तक की नौबत आ जाती है। आपने तलाक के कई मामले सुने और पढ़े होंगे। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने तलाक को लेकर एक फैसला सुलाया है। दरअसल, पत्नी ने करवा चौथ का व्रत रखने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही वह अपने पति को स्वीकार नहीं किया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने क्रूरता के आधार पर तलाक को बरकरार रखा है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि पत्नी द्वारा विवाह में पति को लगातार अस्वीकार करना और उसे स्वीकार न करना उसके लिए बड़ा मानसिक पीड़ा का स्रोत है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने एक पारिवारिक अदालत के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें एक पति को उसकी पत्नी द्वारा क्रूरता के आधार पर तलाक देने का आदेश दिया गया था। बता दें कि दोनों ने मार्च 2011 में शादी की और छह महीने बाद ही अलग रहने लगे।

अदालत ने कहा कि पति ने अपनी गवाही में कहा था कि पत्नी ने यह कहकर “करवा चौथ” का व्रत रखने से इनकार कर दिया था कि वह किसी अन्य पुरुष को अपना पति मानती थी और उसके माता-पिता ने उसके खिलाफ जाकर उससे जबरन शादी की थी।

अदालत ने कहा, किसी भी रिश्ते को इस तरह से अलग करना और लगातार अस्वीकार करना या प्रतिवादी को पति के रूप में स्वीकार न करना फिर से एक पति के लिए बड़ी मानसिक पीड़ा का स्रोत है। पत्नी की अपील को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि पारिवारिक अदालत ने पत्नी के आचरण को पति को अत्यधिक मानसिक पीड़ा, दर्द और क्रूरता का कारण माना है, जिससे वह तलाक का हकदार हो गया है।

इसके अलावा, पीठ ने यह भी कहा कि रिकॉर्ड पर लाए गए सबूतों से साबित होता है कि पत्नी ने एक नहीं बल्कि दो मौकों पर आत्महत्या करने की धमकी दी थी। अदालत ने कहा, इस तरह की धमकियों से मन की शांति प्रभावित हो सकती है और प्रतिवादी की मानसिकता पर असर पड़ता है। इस प्रकार प्रधान न्यायाधीश ने अपीलकर्ता के इस व्यवहार को अत्यधिक क्रूरता का कार्य माना है। 

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