क्या वाकई पिछड़ी सवर्ण जाति को मिलेगा आरक्षण? यहां देखिए आंकड़े

केंद्र सरकार ने ऐताहासिक फैसला लेते हुए सवर्ण जाति में आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्गों को 10 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया है. लेकिन सवाल उठता है कि आरक्षण को देश में कैसे दिया जाएगा क्योंकि कोई जातिगत जनगणना का आंकड़ा देश में मौजूद नहीं है।

इस आधार पर मिलेगा आरक्षण

सरकार ने दो मुख्यों आधारों पर आरक्षण देने का फैसला किया है-

पहला- जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपए प्रतिवर्ष से कम है।

दूसरा- परिवार के पास 5 एकड़ से कम ही जमीन है।

जमीन के हिसाब से 86 फीसदी परिवारों को आरक्षण

सरकार ने 2015-17 में कृषि जनगणना कराई थी जिसको साल 2018 में जारी किया गया। अगर इन आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो देश की 86 फीसदी भूमि पर काबिज जनसंख्या इस आरक्षण के लिए मान्य है क्योंकि इन आंकड़ों के मुताबिक 1 हेक्टेयर भूमि वाले परिवारों की संख्या 99,858 फीसदी है और वहीं जिन परिवारों के पास 1-2 हेक्टेयर है उनकी संख्या 25,777 है। लिहाजा, देश में 2 एकड़ से कम भूमि वाले कुल परिवार 1,25,635 जबकि सभी आकार की भूमि वाले परिवारों की कुल संख्या 1,45,727 है. लिहाजा, देश में 86 फीसदी ऐसे परिवार हैं जो भूमि के आधार इस आरक्षण के लिए मान्य परिवार हैं।

इनकम के हिसाब से 100 फीसदी परिवारों को आरक्षण?

आरक्षण देने के लिए दूसरा मापदंड अनुअल इनकम को तय किया गया है। जिसमें कहा गया है कि जिन परिवारों की वार्षिक आय 8 लाख से कम से उन्हें आरक्षण दिया जाएगा। अगर 8 लाख के हिसाब से देखा जाएगा तो मासिक आय 66,666 रुपए बनती है। आंकड़ों की बात करें तो नैशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की 2011-12 की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 100 फीसदी परिवारों की अनुअल इनकम इससे कम है यानि 100 फीसदी परिवार इस आरक्षण के लिए मान्य है।

ये भी पढ़ें- सदन में नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा, कांग्रेस ने किया वॉकआउट

इस रिपोर्ट में परिवार की आय का आंकलन मासिक प्रति व्यक्ति खर्च (MPCE) को मासिक आय मानते हुए किया गया है।रिपोर्ट के मुताबिक देश के दोनों ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शीर्ष 5 फीसदी जनसंख्या- यदि प्रति परिवार 5 सदस्य की गणना की जाए- तो उनकी मासिक आय 66,666 रुपये से कम आती है। आपको बता दें किMPCE का यह आंकलन मॉडिफाइड मिक्स्ड रेफेरेंस पीरियड (MMRP) नियम से किया गया है।

क्या कहती हैं रिपोर्ट्स?

नाबार्ड द्वारा कराए गए 2016-17 के ऑल इंडिया रूरल फाइनेनशियल इंक्लूजन सर्वे को मध्यनजर रखते हुए देखा जाए तो 99 फीसदी ग्रामीण आबादी इस आरक्षण लेने के दायरे में है। सर्वे के मुताबिक 1 फीसदी परिवार की मासिक आय 48,833 रुपये है। वहीं शीर्ष 5 फीसदी परिवार की मासिक आय 23,375 रुपये आंकी गई है और शीर्ष 10 फीसदी परिवार की मासिक आय महज 17,000 रुपये आंकी गई है। लिहाजा कहा जा सकता है कि गरीब नहीं बल्कि सामान्य परिवार भी इस आरक्षण को लेने के लिए मान्य है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles