इराक के शियाओं के पवित्र शहर नजफ में दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान है। इस कब्रिस्तान का नाम वादी अल-सलाम है. यानी इसे वैली ऑफ पीस कहा जाता है। 14वीं सदी में निर्मित इस कब्रिस्तान का आकार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. कारण है इराक के आसपास के इलाकों के लोग आतंकी संगठन आईएसआईएस (ISIS) से लड़ने के बाद शहीद होने के बाद दफ़न होने यहां आते हैं।
इस कब्रिस्तान में लाखों मुस्लिम दफ़न हुए हैं. इनमें दुनिया के कई दर्जन मशहूर वैज्ञानिकों के अलावा कई मशहूर हस्तियां शामिल हैं। 14वीं सदी में निर्मित यह कब्रिस्तान धीरे-धीरे एक बहुत बड़े क्षेत्र में फैल चुका है. इसका विस्तार सबसे ज्यादा दक्षिणी-पश्चिमी दिशा में हुआ है। 917 हेक्टेयर में फैला यह कब्रिस्तान किसी शहर से कम नहीं लगता है. यहां एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में आपको बहुत समय लग सकता है।
एक रिपोर्टर के मुताबिक इन दिनों इस कब्रिस्तान में लोगों की रोजाना दफ़न होने की संख्या बढ़ती जा रही है। इसका कारण काफ़ी दुःखद है। दरअसल आईएसआईएस से मुकाबला करने के दौरान मरने वाले मुस्लिमों को यहां दफनाया जाता है। हाल के दिनों में मिडिल ईस्ट के क्षेत्रों में आईएसआईएस की गतिविधियों में लगातार इजाफा हुआ है। जिसके वजह से उनसे सामना करने जाने से पहले मुस्लिम सैनिक इस ‘वैली ऑफ पीस’ में दुआ मांगते हैं कि मरने के बाद यहीं दफ़न हों। नए रिपोर्ट के मुताबिक, यहां रोजाना 200 लोगों को दफ़न किया जा रहा है।