इस गिरफ्तारी पर योगी सरकार को जवाब देना पड़ सकता है मुश्किल!

विश्वजीत भट्टाचार्य: यूपी की आदित्यनाथ योगी सरकार को आने वाले दिनों में जवाब देना मुश्किल हो सकता है. वजह है एक गिरफ्तारी. दरअसल, योगी की पुलिस ने ऐसे आदमी को संगीन जुर्म में गिरफ्तार किया है, जिसने सीएम के खिलाफ ताल ठोक रखी थी. गिरफ्तारी से जुड़े जो तथ्य हैं, वो भी योगी सरकार पर सवाल खड़े करते हैं.

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क्या है मामला ?

गोरखपुर पुलिस ने 64 साल के सामाजिक कार्यकर्ता परवेज परवाज को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. पुलिस का कहना है कि 4 जून 2018 को एक महिला ने परवेज और उनके एक साथी के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराया था. जांच में रेप की तस्दीक होने पर परवेज को गिरफ्तार किया गया और परवेज के साथी जुम्मन की तलाश जारी है.

गिरफ्तारी पर सवाल क्यों ?

परवेज की गिरफ्तारी को लेकर योगी आदित्यनाथ इस वजह से सवालों के घेरे में आ सकते हैं, क्योंकि इस पूरे मामले की टाइमिंग ही ऐसी है. पुलिस का कहना है कि परवेज के खिलाफ 4 जून को रेप केस दर्ज कराया गया. जाहिर है, पुलिस ने तुरंत ही पीड़िता का मेडिकल कराया होगा. सवाल ये है कि परवेज की गिरफ्तारी के लिए फिर तीन महीने से ज्यादा वक्त का इंतजार पुलिस ने क्यों किया ?

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इस गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल इस वजह से भी खड़ा हो रहा है कि परवेज ही वो शख्स हैं, जिन्होंने 2007 में हेट स्पीच यानी भड़काऊ भाषण देने को लेकर योगी आदित्यनाथ के खिलाफ केस किया था. इसी मामले में परवेज ने सुप्रीम कोर्ट में निचली अदालत और इलाहाबाद हाईकोर्ट के योगी के खिलाफ केस न चलाने के फैसले को चुनौती दी थी और सुप्रीम कोर्ट ने बीती 20 अगस्त को इस मामले में यूपी के डीजीपी, गोरखपुर के डीएम और एसएसपी से 4 हफ्ते में जवाब मांगा था.

टाइमिंग देखिए, कि सुप्रीम कोर्ट ने जब योगी के खिलाफ दाखिल केस पर यूपी के अफसरों से जवाब मांगा, तो याचिका दाखिल करने वाले परवेज परवाज को जून में दर्ज रेप केस में सितंबर में गोरखपुर पुलिस ने पकड़कर जेल भेज दिया. इसी वजह से ये गिरफ्तारी सवाल खड़े करती है.

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योगी के खिलाफ याचिका खारिज हुई थी

रेप केस में जेल भेजे गए परवेज परवाज ने 27 जनवरी 2007 को गोरखपुर कोतवाली में योगी आदित्यनाथ और कई अन्य के खिलाफ केस दर्ज कराया था. परवेज ने आरोप लगाया था कि योगी ने भड़काऊ भाषण दिया और इससे सांप्रदायिक तनाव फैला. बता दें कि दो समुदायों के बीच हिंसा में युवक की हत्या के बाद योगी ने जुलूस निकाला था. जिसे लेकर तनाव फैल गया और योगी को इस मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. योगी की गिरफ्तारी के बाद उनकी हिंदू युवा वाहिनी ने रेल की बोगी और कई बसें जला दी थीं. हालात इतने गंभीर हो गए थे कि आजमगढ़ और कुशीनगर में पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा था.

इस वजह से नहीं चला था योगी पर केस

2008 में तत्कालीन सरकार ने कहा कि योगी के कथित भड़काऊ भाषण के वीडियो से छेड़छाड़ हुई है और वो केस नहीं चलाएगी. परवेज ने इस पर 2008 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की अर्जी दी, लेकिन 1 फरवरी 2018 को हाईकोर्ट से परवेज की अर्जी खारिज हो गई. जिसके बाद परवेज ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ केस चलाने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दी थी.

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