पूर्व की सरकार में घोटालों के लिए बदनाम रहे बिजली विभाग में पहली बार 31 सौ करोड़ रुपए बचाए हैं। ये सब हुआ है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की नई नीति के चलते। योगी आदित्यनाथ ने जब सत्ता संभाली थी तो बिजली विभाग का न सिर्फ 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बिजली बिल फंसा हुआ था। जिसकी न सिर्फ वसूली तेजी से शुरु हुई बल्कि विभाग ने घाटे को कम करने में सफलता पाई है।
सत्ता संभालने के बाद बिजली विभाग को सपा राज से सस्ती बिजली खरीदने, उपभोक्ताओं को ज्यादा से ज्यादा बिजली देने और बिजली खरीदने व उत्पादन में कमी लाने का तीन सूत्री टास्क सौंपा था। अब इसके नतीजे सामने लगे हैं।
तीन पैरामीटर पर किया काम
ऊर्जा विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक तीनों ही पैरामीटर पर काम किया था। जिसके बाद ये सफलता हासिल हुई है। विभाग ने 2017-18 में यानी की पिछले वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार से पावर ऑफ ऑल का समझौता किया था। प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार की ओर से भेजी प्रगति रिपोर्ट के अनुसार नई सरकार के सत्ता में आते ही अप्रैल 2017 में ये समझौता हुआ है। जिसमें पहली प्राथमिकता सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली देने की बात थी।
स्टेट बिजली उत्पादन को बढ़ावा
इसके साथ ही बिजली खरीद की कीमत में कमी लाने के लिए सेंट्रल व स्टेट सेक्टर से बिडिंग के आधार पर बिजली खरीद की रणनीति अपनाई गई। वहीं दूसरी तरफ स्टेट सेक्टर के तापीय विद्युत उत्पादन गृहों को पर्याप्त सुविधाएं व ओवरहॉलिंग के लिए आवश्यक फंड प्राथमिकता पर उपलब्ध कराने की पहल शुरू हुई।
पूर्व की सरकारों में हुई महंगी खरीद
इन फैसलों पर अमल की कड़ी में ही योगी सरकार ने पूर्व की सरकारों के एमओयू के मुताबिक 7040 मेगावाट बिजली खरीद का प्रस्ताव था। जिसको सरकार ने आते ही जून 2017 में निरस्त कर दिया। जो फायदे का सबसे बड़ा कदम रहा।
प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदूषण रहित ऊर्जा के तहत 500-500 मेगावाट सौर ऊर्जा के लिए दो चरणों में कंपनियों की बिडिंग की। पहले चरण में सौर ऊर्जा की दरें 3.17 रुपये से 3.23 रुपये प्रति यूनिट साथ दूसरे चरण में 3.02 रुपये से 3.08 रुपये प्रति यूनिट आई। इस तरह 1000 मेगावाट बिजली सौर ऊर्जा 3.02 रुपये से 3.23 रुपये प्रति यूनिट के बीच उपलब्ध हो सकेगा।