निषाद पार्टी के साथ आने से गोरखपुर में पार होगी योगी की नैया?

लखनऊ. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सदर सांसद डॉ. प्रवीण निषाद का टिकट काट दिया है और उनकी जगह पर पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद को प्रत्याशी घोषित कर दिया है. इधर चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने अपने पुराने जख्मों को भरने के लिए नया पासा फेंका और निषाद पार्टी को अपने खेमे में कर लिया.

राम भुआल निषाद

दरअसल, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बात तो अच्छे से जानते हैं कि अगर वह गोरखपुर हार गए तो उनकी जीत के खास मायने नहीं रह जाएंगे. इसलिए उन्होंने उपचुनाव की जीत से चमकने वाली निषाद पार्टी, जो गठबंधन से पहले सपा के साथ थी उसे अपने खेमे में ले लिया है. आइए जानते हैं थोड़ा विस्तार से…

लोकसभा उपचुनाव में गोरखपुर और फूलपुर से सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य दावेदार थे. लेकिन विपक्ष ने ऐसा खेल खेला कि बीजेपी को यहां करारी हार का सामना करना पड़ा. कहा जाता है कि इस जीत ने विपक्ष को यूपी के अंदर फिर से खड़ा होने का हौसला दिया. बस इसी हौसले के साथ सपा और बसपा साथ आए. और देखते ही देखते यूपी की पूरी बाजी पलट गई. खासतौर से दो दशक से गोरखपुर सीट पर जीत हासिल करने वाली बीजेपी की हार ने विपक्ष का रुतबा सातवें आसमान पर पहुंचा दिया. एक तरफ उपचुनाव में हुई करारी हार से योगी अदित्यनाथ को करारा झटका लगा तो दूसरी तरफ गोरखपुर में जीत के साथ ही निषाद पार्टी रातों रात सियासी फलक पर छा गई.

सांसद डॉ. प्रवीण निषाद

माना जा रहा है कि गोरखपुर में अपने किले को बचाने के लिए योगी आदित्यनाथ काफी परेशान हैं. वह सपा और बसपा गठबंधन से तो निपट लेंगे लेकिन गोरखपुर चुनाव में अहम रोल निभाने वाली निषाद पार्टी गले की हड्डी बन सकती थी. लेकिन सियासी दांवपेंच के माहिर बन चुके योगी जी ने बड़ा दांव खेला जिससे निषाद पार्टी सपा छोड़ अचानक बीजेपी के खेमे में आ गई.

मीडिया सोर्सेज के मुताबिक, बीजेपी निषाद पार्टी को दो सीटें देने पर तैयार हो गई है. पहली सीट है गोरखपुर जहां से निषाद पार्टी के सुप्रीमो डॉ. संजय निषाद या फिर उनके बेटे प्रवीण निषाद मैदान में उतर सकते हैं. जबकि दूसरी सीट है जौनपुर जहां से बाहुबली धनंजय सिंह के चुनाव लड़ने की संभावना है.

एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर निषाद वोटर
निषाद पार्टी के साथ आने से बीजेपी को पूर्वांचल में काफी फायदा मिल सकता है. अनुप्रिया पटेल के भरोसे बीजेपी पहले ही कुर्मी जाति को अपने पाले में लाने की कोशिश कर चुकी है, अब निषाद पार्टी के भरोसे निषादों पर डोरे डालने की कोशिश हो रही है. बता दें कि पूर्वांचल की एक दर्जन सीटों से ज्यादा पर निषाद वोटर हैं. वहीं आकड़ों की बात करें तो यहां लगभग पांच प्रतिशत के आसपास निषाद वोटर है और इनकी कई उपजातियां हैं.

इधर बीजेपी और निषाद पार्टी के गठबंधन की खबरों के बीच समाजवादी पार्टी ने योगी आदित्यनाथ पर काउंटर अटैक कर दिया है. पार्टी ने गोरखपुर सीट से रामभुवाल निषाद को मैदान में उतारकर बीजेपी के दांव को पूरी तरह पलटने की तैयारी कर ली है. दरअसल, रामभुवाल निषाद गोरखपुर के कद्दावर नेता रहे हैं. ऐसे में अगर बीजेपी संजय निषाद या उनके बेटे प्रवीण निषाद को मैदान में उतारती है तो वोट बंटना तय है. वहीं कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी के नाम को रोककर रखा है.

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