अयोध्या और राम मंदिर का बीजेपी के साथ भले ही राजनीतिक रिश्ता हो, लेकिन यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का गोरखनाथ पीठ के महंत होने के नाते व्यक्तिगत रिश्ता है। दरअसल अपनी गुरु शिष्य परंपरा निभाने की बड़ी जिम्मेदारी भी उनके ऊपर है।
इस रिश्ते में योगी आदित्यनाथ तीसरी पीढ़ी के हैं। महंत और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से पहले उनके गुरु के गुरु तक मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं. योगी उसी परंपरा को आगे बढ़ाने में जुटे हैं.
महंत दिग्विजयनाथ
राम मंदिर आंदोलन से गोरखपुर मठ के महंत हमेशा से जुड़े रहे हैं। योगी आदित्यनाथ के गुरु के गुरु गोरखनाथ पीठ के महंत दिग्विजयनाथ राम मंदिर निर्माण के शुरुआती दौर से जुड़े रहे हैं. दिग्विजयनाथ की चर्चा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि 1934 में जब वे नाथ संप्रदाय के महंत बने, तो गोरखनाथ मंदिर कट्टर हिंदुत्व की राजनीति का केंद्र बन गया था.
दिग्विजयनाथ ने दिखाया योगी को रास्ता
नाथ संप्रदाय के महंतों में योगी आदित्यनाथ सर्वाधिक लोकप्रिय हैं पर जिस रास्ते पर आज वे हैं, उसकी दिशा दिखाने का काम महंत दिग्विजयनाथ को दिया जाता है. महंत दिग्विजयनाथ, आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ के गुरु थे. गोरखनाथ के महंत दिग्विजयनाथ राम मंदिरी आंदोलन के शुरुआती दौर से जुड़े रहे. कहा जाता है कि 1949 में दिग्विजयनाथ ने अखिल भारतीय रामायण महासभा ज्वाइन की इसी महासभा ने बाबरी मस्जिद के सामने नौ दिवसीय रामचरितमानस का पाठ आयोजित किया.
उग्र हिंदुत्व की राजनीति करते थे दिग्विजयनाथ
दिग्विजयनाथ शुरु से उग्र हिंदुत्व की राजनीति करते रहे हैं. माना जाता है कि 22-23 दिसंबर, 1949 की रात रामजन्म भूमि बताए जाने वाले विवादित इमारत में रामलला के प्राकट्य के साथ मंदिर आंदोलन की बुनियाद पड़ी और यह बुनियाद रोपित करने वालों में तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ की बड़ी भूमिका रही है. दिग्विजयनाथ 1951 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़े थे.
महंत अवैद्यनाथ
महंत दिग्विजयनाथ के बाद गोरखनाथ पीठ की विरासत योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ को मिली. अवैद्यनाथ ने दिग्विजयनाथ की अयोध्या विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया. 6 सितंबर, 1984 को सरयू तट पर रामजन्म भूमि मुक्ति के संकल्प के साथ अभियान से विश्व हिंदु परिषद जुड़ी तो संतों को आगे रखकर. उसी दौर में रामजन्म भूमि मुक्तियज्ञ समिति का गठन किया गया और समिति का अध्यक्ष तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ को बनाया गया. दिसंबर 1992 की कारसेवा में अवैद्यनाथ मंदिर आंदोलन के अगुवा के तौर पर शामिल थे. बाबरी ध्वंस में प्रमुख बीजेपी नेताओं के साथ अवैद्यनाथ के खिलाफ भी नामजद एफआईआर दर्ज हुई थी.
अवैद्यनाथ हिंदुत्व का चेहरा नहीं हो सके
अवैद्यनाथ हिंदू महासभा से जुड़े थे. उन्होंने 1962 से मनीराम विधानसभा की नुमाइंदगी की. बाद में चार बार (1970, 1989, 1991 और 1996) में वे लोकसभा की गोरखपुर सीट से जीतकर संसद पहुंचे. लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में चली हिंदुत्व की राजनीति की मुख्यधारा में महंत अवैद्यनाथ को मुख्य स्थान हासिल नहीं हुआ.
योगी आदित्यनाथ राम मंदिर के अहम चेहरे
महंत अवैद्यनाथ ने 1994 में योगी आदित्यनाथ को गोरक्षपीठ का अपना उत्तराधिकारी घोषित किया. योगी आदित्यनाथ शुरू से ही उग्र हिंदुत्व की राजनीति पर चले. उन्होंने महंत दिग्विजयनाथ और अवैद्यनाथ की तर्ज पर राम मंदिर आंदोलन को आगे ले जाने का काम किया. योगी ने अपनी एक अलग तरह से राजनीतिक धारा बनाई. 1998 में वो सबसे कम उम्र के सांसद बने. उन्होंने ‘हिंदू युवा वाहिनी’ का गठन किया, जो हिंदू युवाओं को धार्मिक बनने के लिए प्रेरणा देती है. अजय विष्ट से योगी आदित्यनाथ बनने के बाद वह लगातार राम मदिंर आंदोलन का अहम चेहरा बने हुए हैं. अब यूपी के सीएम हैं तो भी उनके तेवर अयोध्या को लेकर कम नहीं हुआ है.