रविवार को ऐसे करें सूर्यदेव की उपासना, पूर्ण करेंगे मनोकामना

हिंदू धर्म में कोई न कोई दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है. रविवार को भगवान सूर्य की पूजा का दिन माना गया है. सूर्यदेव की प्रत्यक्ष रूप से पूजा की जा सकती है क्योंकि हर कोई उन्हें देख सकता है.

रविवार व्रत कथा पढ़ने और सुनने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं साथ ही सुख-समृद्धि और धन-संपत्ति प्राप्त होती है.यहीं नहीं यदि किसी स्त्री को बच्चें न हो तो उसे भी इस पूजा से पुत्र की प्राप्ति होती है. यदि आप सूर्यदेव को खुश करना चाहते हैं तो उन्हें रविवार को अर्घ्य देना न भूलें.

ये भी पढ़े: आखिर क्यों पुत्र शनि और पिता सूर्य में नहीं बनती

सूर्य को अर्घ्य कैसे दें

पौराणिक कथाओं में सूर्य को जल अर्पित करना बहुत ही फलदायी बताया गया है. सूर्य को ब्रह्मांड का केंद्र माना गया है. आदिकाल से सूर्य की पूजा उपासना का प्रचलन है. इसलिए सूर्य को आदिदेव के नाम से भी जाना जाता है. रविवार को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहनें. तत्पश्चात घर के ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान सूर्य की स्वर्ण निर्मित मूर्ति या चित्र स्थापित करें.

पूजा सामाग्री

इसके बाद विधि-विधान से तांबे के लोटे में पानी भरकर उसमें लाल फूल, चावल आदि डाल कर सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं. इस तरह अर्घ्य देने से भगवान सूर्य खुश होते हैं और व्यक्ति को लंबी आयु, धन, धान्य, पुत्र, यश, विद्या और सौभाग्य प्रदान करते हैं. सूर्यदेव को जल देते समय इस मंत्र को जाप कर जल अर्पित करें-

ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।

अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकरः।।

ऊँ सूर्याय नमः, ऊँ आदित्याय नमः, ऊँ नमो भास्कराय नमः।

अर्घ्य समर्पयामि।।

संभव हो तो लाल फूल और चंदन, धूप अर्पित करें.

ये भी पढ़े: यहां भगवान को छप्पन भोग नहीं पसंद है चॉकलेट, दूर दूर से आते है श्रद्धालु

रविवार व्रत महत्व

जिन व्यक्तियों की कुण्डली में सूर्य पीड़ित अवस्था में हो, उन व्यक्तियों के लिए रविवार का व्रत करना विशेष रूप से लाभकारी रहता है. इसके अतिरिक्त रविवार का व्रत आत्मविश्वास में वृद्धि करने के लिए रविवार का व्रत किया जाता है. इस व्रत के स्वामी सूर्यदेव है. नवग्रहों में सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए रविवार का व्रत किया जाता है. रविवार का व्रत समस्त कामनाओं की सिद्धि, नेत्र रोगों में कमी, कुष्ठादि व चर्म रोगों में कमी, आयु व सौभाग्य वृद्धि के लिए किया जाता है. किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से प्रारंभ करके कम से कम एक वर्ष और अधिक से अधिक बारह वर्ष के लिए किया जा सकता है. रविवार क्योंकि सूर्य देवता की पूजा का दिन है.

इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए इस व्रत का महत्व बताया गया है.रविवार का व्रत करने व कथा सुनने से व्यक्ति कि सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इस दिन उपवास करने से सभी पापों का नाश होता है. जिन स्त्रियों के बच्चे न होते हो तो उनके द्वारा इस व्रत को करने से सूर्य देव प्रसन्न होते है और उन्हें बच्चें का सुख प्रदान करते है. सूर्य पूजा के लिए व्रत करना जरूरी नहीं है. आप चाहें तो सूर्योदय से सूर्यास्त तक का व्रत कर सकते हैं. शाम को भी सूर्यास्त से पहले शुद्ध घी के दीपक से भगवान सूर्य की अराधना करें. इस प्रकार आपकी एक दिन की पूजा या व्रत पूर्ण हो जाती है.

ये भी पढ़े: भगवान राम ने जहां किए पिता दशरथ के पिंड दान, वहां उमड़ा आस्था का सैलाब

सूर्य उपासना के फायदे

कथाओं में कहा गया है कि भगवान सूर्य का उपासक कठिन से कठिन कार्य में सफलता प्राप्त करता है और उसके आत्मबल में भी वृद्धि होती है.

  • नियमित सूर्य देव को जल देने से मनुष्य निडर और बलशाली बनता है.
  • सूर्यदेव की पूजा से मनुष्य को बुद्धिमान और विद्वान बनाती है.
  • सूर्य पूजा करने वाले की आध्यात्म में रुचि बढ़ती है और उसका आचरण पवित्रता प्राप्त होती है.
  • सूर्य पूजा से मनुष्य के बुरे विचारों जैसे- अहंकार, क्रोध, लोभ और कपट का नाश होता है.
  • रविवार व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles