महाराष्ट्र के अमरावती जिले में मध्य प्रदेश की सीमा से सटा मेलघाट टाइगर रिजर्व घने जंगलों के बीच एक छोटे से गांव हरिसाल में स्थित है। इस टाइगर रिजर्व के एक तरफ सिपना नदी है तो वहीं दूसरी तरफ पहाड़ियां। यह भारत का पहला डिजिटल गांव भी है जहाँ रूरल टूरिज्म का विकास किया जा रहा है। अक्सर इसकी सौंदर्यता की चर्चा की जाती है। इस गांव में लगभग 1,200 लोग रहते हैं जिसमें 400 कोरका जनजाति के आदिवासी परिवार भी शामिल हैं।
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आईआईटी गुवाहाटी के पूर्व छात्र प्रकाश गुप्ता पहली बार इस गांव में तब आए थे जब उन्हें 2018 में माइक्रोसॉफ्ट के डिजिटल विलेज कार्यक्रम पर काम करने के लिए भेजा गया था। यह गांव उन्हें इतना पसंद आया कि नौकरी छोड़कर उन्होंने यहीं बसने का फैसला कर लिया। अब वे यहां रहकर रूरल टूरिज्म को बढ़ावा दे रहे हैं और इकोटूरिज्म की पहल भी शुरू कर रहे हैं।
प्रकाश ने इस गांव में हरिसाल पर्यटन पहल के तहत घूमने वालों के लिए कई सारी सुविधाएं शुरू करवाईं। इसमें सौर ऊर्जा से चलने वाले पैनल से लेकर सुलभ वाईफाई, जंगल सफारी तक स्थानीय गाँव की गतिविधियों में भाग लेने के लिए देशी कोरकू जनजाति के साथ सांस्कृतिक अनुभव तक शामिल है। उन्होंने जनजाति समुदाय को जागरूक किया और उनके लिए एक गैर लाभकारी संगठन बनाया, जिससे कि स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके और उनका परिवार आसानी से चल सके।
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यहां आने वाले पर्यटक ग्रामीण जीवन का अनुभव कर सकते हैं। उन्हें किसानों के साथ काम करने का मौका मिलता है और ऑर्गैनिक रूप से उगाए गए अन्न के साथ पकाया गया स्थानीय भोजन का स्वाद भी चखने का मौका मिलता है। इस पहल के तहत पिछले एक साल के भीतर कई सारे पर्यटकों ने यहां का भ्रमण किया।
अभी तक हरिसाल कुपोषण से होने वाली मौतों की वजह से बदनाम था। यहां पर रोजगार, शिक्षा और इलाज का कोई प्रबंध नहीं था। आय का स्तर काफी कम था, बिजली का कोई अता पता नहीं होता था, मोबाइल कनेक्टिविटी और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का आभाव भी था। इन सारी चुनौतियों का सामना करने के लिए, महाराष्ट्र सरकार ने अगस्त 2015 में Microsoft के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिससे इस गाँव को भारत के पहले आदर्श डिजिटल गाँव के रूप में विकसित किया जा सके।
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के मुताबिक, ‘डिजिटल विलेज प्रोजेक्ट का जन्म माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नाडेला और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच हुई बैठक में हुआ था, जो चाहते थे कि राज्य सरकार कंपनी के साथ साझेदारी करके एक डिजिटल गाँव को सर्वश्रेष्ठ-इन-क्लास तकनीक से संचालित करे।’ ग्रामीण इंटरनेट और डिजिटल साक्षरता प्रदान करना डिजिटल इंडिया पहल की प्राथमिकता थी, जिसने माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के राष्ट्रीय सशक्तिकरण योजना के साथ जोड़ा गया।
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2018 तक हरिसाल गांव को डिजिटली जोड़ दिया। इसे लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधान मंत्री पुरस्कार के लिए भी चुना गया था। जब 29 वर्षीय प्रकाश गांव में आए, तो उन्होंने स्थानीय लोगों के लिए स्थायी आजीविका के अवसर पैदा करने के तरीकों के बारे में सोचना शुरू किया
सबसे पहले ग्रामीणों को आर्थिक रूप से स्थिर बनाने के पहले कदम के रूप में प्रकाश ने अपनी Microsoft टीम के साथ, गाँव की महिलाओं को बुनाई प्रशिक्षण प्रदान किया। पुरुषों को बांस के उत्पाद जैसे मैट, फूलदान, कटोरे और टोकरी बनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। उचित भुगतान सुनिश्चित करने और इन उत्पादों की पहुँच को अधिकतम करने के लिए, ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया गया और उन्हें कई ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर अपने हाथ के कपड़े बेचने के लिए प्रशिक्षित किया गया।
इसके बाद, उन्होंने ग्रामीण पर्यटन पर अपना ध्यान केंद्रित किया। इस प्रॉजेक्ट में मामूली लागत लग रही थी इसलिए आदिवासी आसानी से इसके लिए सहमत हो गया। इससे पहले मेलघाट में काफी कम पर्यटक आते थे। लेकिन प्रकाश ने सोचा कि यहां के घने और हरे भरे जंगल पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं, जिससे रूरल टूरिज्म बढेगा।
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वे कहते हैं, ‘हरिसाल के स्थानीय लोगों द्वारा आदिवासी संस्कृति की एक रात मंत्रमुग्ध कर देने वाली होती है। स्थानीय बुजुर्ग मेलघाट के इतिहास और संस्कृति के बारे में किस्से बताते हैं, उसके बाद कोरकू नृत्य का प्रदर्शन करते हैं।
गांव में एक बाजार भी बनाया गया है जहां पर्यटक आदिवासी लोगों द्वारा बनाए गए उत्पादों को खरीद सकते हैं। इससे होने वाली आय सीधे ग्रामीण लोगों को मिलती है। प्रकाश कहते हैं, ‘यह हमारा दूसरा सीजन है और हमने अब तक लगभग 35 मेहमानों की मेजबानी की है। हम आदिवासी लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान करने के साथ ही इकोटूरिज्म को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं।’
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