नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में राफेल सौदे में दाखिल समीक्षा याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई की शुरुआत में ही सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा हम दोनों पक्ष को एक-एक घंटे का समय दे रहे हैं। आज 4 बजे तक हम सुनवाई पूरी करना चाहते हैं। इसके बाद वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने पुनर्विचार याचिका पर बहस शुरू की। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश प्रशांत भूषण ने कहा कि दिसंबर 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि हम राफेल डील के कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने की मांग कर रहे थे, जबकि ऐसा कुछ नहीं है। हम सिर्फ इस मामले में एफआईआर दर्ज़ कर जांच करने की मांग कर रहे थे। प्रशांत भूषण ने आगे कहा कि ये फैसला सरकार की ओर से दी गई गुमराह करने ग़लत जानकारी पर आधारित है, इसी वजह से हम पुर्नविचार की मांग कर रहे हैं।
प्रशांत भूषण ने कहा 18 सितंबर को सीसीएस की मीटिंग में डिफेंस डील के 8 महत्वपूर्ण क्लोस को अनदेखा किया गया था। यहां तक कि एन्टी करप्शन क्लोज को अनदेखा किया गया। प्रशांत भूषण ने आगे कहा कि राफेल विमानों का बेंचमार्क मूल्य तय था। यह 5 बिलियन यूरो तय किया गया था, लेकिन राफेल का फाइनल प्राइस उसके बेंचमार्क मूल्य से 55.6 फीसदी अधिक था और यह समय के साथ बढ़ता गया। इस मामले में कोई बैंक गारंटी भी नहीं है। इसमें केवल फ्रांस द्वारा जारी एक लेटर ऑफ कम्फर्ट है। प्रशांत भूषण ने अपनी दलील में आगे कहा कि हम चाहते हैं कि सीबीआई राफेल डील को लेकर जांच करे।
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हम राफेल डील को रद्द नहीं करना चाहते। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जांच की मांग पर सुनवाई नहीं की बल्कि इस आधार पर सुनवाई की कि हम कॉन्ट्रैक्ट रद्द कराना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र ने कोर्ट के समक्ष उस समय कैग की उस रिपोर्ट का हवाला दिया जो उस समय अस्तित्व में ही नहीं थी। उस जानकारी के आधार पर कोर्ट ने फैसला दिया। इससे पहले न्यायालय ने बीते सोमवार को सुनवाई यह कहते हुए स्थगित कर दी थी कि समीक्षा याचिकाओं और राहुल गांधी द्वारा ‘चौकीदार चोर है’ टिप्पणी को शीर्ष अदालत से जोड़ने के खिलाफ अवमानना मामले पर एक साथ 10 मई को सुनवाई की जाएगी। मजेदार बात यह कि अदालत ने यह निर्देश यह जानने के बाद दिया था कि राहुल के खिलाफ अवमानना मामले में सुनवाई अलग कर दी गई है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा हम थोड़ा हैरान हैं कि दो मामलों (राहुल के अवमानना और राफेल संबंधी मामले) को अलग कर दिया गया है। न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा था कि अदालत समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई 10 मई को निश्चित रूप से पूरा करना चाहती है। रंजन गोगोई सहित न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति एसके कौल की सदस्यता वाली पीठ ने कहा था कि दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ होनी चाहिए। राफेल मामले में इन याचिकाओं को पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दायर किए हैं। ये सभी शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर के आदेश की समीक्षा की मांग कर रहे हैं। अदालत ने 14 दिसंबर के अपने आदेश में राफेल सौदे में कथित अनियमितताओं की जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। केंद्र सरकार ने अपने हाल के हलफनामे में 14 दिसंबर के फैसले की समीक्षा का विरोध किया है और कहा है कि राफेल सौदे में प्रत्यक्ष तौर पर कोई गलती नहीं हुई है।