नई दिल्ली। सीबीआई (CBI) की एक विशेष अदालत ने कोयला घोटाला (Coal Scam) मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे (Dilip Ray) को कोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई है। अदालत ने 1999 में झारखंड में कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितता को लेकर यह फैसला दिया।
फैसले के खिलाफ ऊपरी कोर्ट जाएंगे रे
सीबीआई (CBI) की एक विशेष अदालत ने इस 21 साल पुराने मामले में दो और लोगों को तीन साल की सजा सुनाई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री के मामले में सीबीआई की तरफ से लिए उम्रकैद की सजा की मांग की गई थी। जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए तीन साल की सजा सुनाई। इन सभी की सजा पर बहस 14 अक्टूबर को पूरी हो गई थी। रे का पक्ष रखने वाले एडवोकेट मनु शर्मा ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की बात कही है।
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कोर्ट ने लगाया 10 लाख का जुर्माना
विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने दिलीप रे को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दोषी पाया, जबकि अन्य दो को धोखाधड़ी और साजिश रचने का दोषी पाया है। न्यायाधीश ने सजा सुनाते का ऐलान करते हुए तीनों दोषियों पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। विशेष 6 अक्टूबर को न्यायाधीश ने कहा था कि इन लोगों ने कोयला ब्लॉक के आवंटन की खरीद को लेकर एक साथ साजिश रची गई थी। इसी दिन रे के अलावा कोयला मंत्रालय के तत्कालीन दो वरिष्ठ अधिकारी, प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्या नंद गौतम, सीटीएलके निदेशक महेंद्र कुमार अग्रवाल और कैस्ट्रॉन माइनिंग लिमिटेड (सीएमएल) को भी दोषी ठहराया था।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि यह केस झारखंड के गिरिडीह में ‘ब्रह्मडीह कोयला ब्लॉक’ के आवंटन से जुड़ा है। 1999 में कोयला मंत्रालय की 14वीं स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा कैस्ट्रन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के पक्ष में आवंटन किया गया था। गिरिडीह में 105.153 हेक्टेयर गैर-राष्ट्रीयकृत और परित्यक्त कोयला खनन क्षेत्र का आवंटन हुआ था।