नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय कथित पेगासस जासूसी मामले में कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर आज निर्णय सुनाएगा।
शीर्ष कोर्ट ने 23 सितंबर को संकेत दिया था कि वह पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि पर पेगासस स्पाइवेयर का प्रयोग कर जासूसी के आरोपों की जांच के लिए एक तकनीकी समिति का गठन कर सकती है।
चीफ जस्टिस एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मौखिक रूप से वरिष्ठ वकील सी. यू. सिंह, जो पेगासस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश हुए थे, से कहा था कि कुछ विशेषज्ञों ने व्यक्तिगत कारणों से जांच में शामिल होने में असमर्थता व्यक्त की है और जल्द ही समिति पर एक आदेश की सम्भावना है।
CJI ने कहा था कि कोर्ट इस हप्ते आदेश पारित करना चाहती थी। हालांकि, आदेश को स्थगित कर दिया गया, क्योंकि कुछ सदस्य, जिन्हें अदालत तकनीकी समिति का हिस्सा बनाना चाहती थी, ने समिति में रहने को लेकर व्यक्तिगत परेशानियों को व्यक्त किया है।
उन्होंने कहा, इसलिए तकनीकी विशेषज्ञ समिति के गठन में वक्त लग रहा है। उन्होंने आगे कहा कि कोर्ट शीघ्र ही तकनीकी समिति के सदस्यों को आखिरी रूप देगी।
केंद्र ने पूर्व ही जासूसी के आरोपों की जांच के लिए स्वतंत्र सदस्यों से बना एक विशेषज्ञ पैनल गठित करने का प्रस्ताव दिया था। इसने कहा था कि यह समिति अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंप सकती है।
कथित जासूसी की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं के एक बैच के उत्तर में 13 सितंबर को केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि वह अब एक विस्तृत हलफनामा दायर नहीं करना चाहता है, जिसमें यह साफ किया जाना है कि पेगासस स्पाइवेयर का प्रयोग किया गया था या नहीं।
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया था कि सरकार डोमेन विशेषज्ञों के एक पैनल के सामने पेगासस केस के संबंध में सभी विवरणों का पर्दाफाश करेगी, परन्तु राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारी को हलफनामे में शामिल नहीं किया जाएगा।
मेहता ने जोर देकर कहा था कि ऐसे भी आतंकवादी संगठन हैं, जो बेहतर तरीके से नहीं जानते हैं कि आतंकवाद से निपटने के लिए कौन सा सॉफ्टवेयर प्रयोग किया जाता है। उन्होंने कहा, इसके अपने नुकसान हैं।