लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी की नेता डॉ दीप्ति भारद्वाज की योगी के खिलाफ ‘बगावत’ के जरिये भारतीय जनता पार्टी में शुरू हुई बहस को सोमवार को कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर बयान से नया आयाम मिल गया है. राजभर ने साफ़ कहा है कि एससी-एसटी एक्ट सुप्रीम कोर्ट फैसला पलट कर वोट बैंक की राजनीति की है. वहीं, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दीप्ति भारद्वाज की मांग पर नाराजगी भरा ट्वीट तो किया था मगर अब यह ट्वीट उनके ट्विटर हैंडल से गायब है. जबकि दीप्ति का कहना है कि उन्होंने किसी के खिलाफ बगावत नहीं की है, उन्होंने तो पार्टी के दर्शन और सिद्धांत पर ही बल दिया है. केशव जी चूंकि कल्याण सिंह की तरह सर्वमान्य नेता हैं लिहाजा उनके हाथों में प्रदेश की कमान सौंपने की मांग की है.
दीप्ति भारद्वाज ने अपने बयान से उत्तर प्रदेश भाजपा में खलबली मचा दी है. उन्होंने कहा था कि अगर आदित्य नाथ योगी की जगह केशव प्रसाद मौर्या को सरकार की कमान दी गयी होती तो हालात बहुत बेहतर होते. ‘राजसत्ता एक्सप्रेस’ से बातचीत में दीप्ति ने कहा कि वो योगी जी की विरोधी नहीं हैं. गोरक्षपीठ महंत के तौर पर वह हमारा गौरव और स्वाभिमान हैं. मगर केशव जी को डिप्टी सीएम नहीं सीएम होना चाहिए था. विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के लोगों ने मोदी जी को वोट दिया था. मुख्यमंत्री का कोई चेहरा था ही नहीं. केशव मौर्य पिछड़ी जाति से भले आते हैं मगर मिलनसार और सबके प्रति समान दृष्टि रखने की वजह से सामान्य वर्ग के लोग भी उनके नेतृत्व में विश्वास रखते हैं.
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उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा इनदिनों सिर्फ जातियों के नाम पर सम्मलेन करने में जुटी है. इस सिलसिले में आये दिन किसी एक जाती के नाम पर सम्मलेन करके भीड़ जुटाई जाती है और सीएम से लेकर सारे मंत्री-नेता पार्टी को उस जाति का हितैषी साबित करने में जुटते हैं. दीप्ति ने कहा कि मेरा सवाल दलितों और पिछड़ों को पार्टी से जोड़ने के नाम पर हो रहे जातीय सम्मेलनों पर है. हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की प्रेरक-समर्थक भाजपा को उत्तर प्रदेश में जातीय सम्मेलनों की जरूरत क्यों पड़ रही है. राष्ट्रवाद की राजनीति में तो जातीय राजनीति के लिए स्थान ही नहीं है. हम स्वामी विवेकानंद के आदर्श पर चलने की बात करते हैं. मगर, स्वामी जी के हिंदुत्व में जातियों का कोई स्थान ही नहीं था. वह तो कहते थे जिस दिन जातीयता हावी होगी उसी दिन भारतीयता और भारत समाप्त हो जाएगा.
सवर्णों और पिछड़ों द्वारा किया जा रहा एससी-एसटी एक्ट का विरोध सही है। इसके तहत बेगुनाह लोगों को फंसाया जाता है।@AmitShah @BJP4UP @narendramodi @myogiadityanath @bjp @ArunrajbharSbsp @arvindrajbhar07 pic.twitter.com/WglHVst0x3
— Om Prakash Rajbhar (@oprajbhar) September 10, 2018
इस सबके बीच ओमप्रकाश राजभर का बयान भाजपा के इरादों पर सवाल खड़ा कर गया है. पिछड़ों के नेता राजभर योगी सरकार की आलोचना को लेकर हमेशा सुर्ख़ियों में रहते हैं. इस बार उन्होंने मोदी सरकार के फैसले पर सवाल उठाकर भाजपा की नयी नीति-रीति की आलोचना की है. गौरतलब है कि एससी-एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर सवर्ण ही नहीं पिछड़े वर्ग के लोग भी नाराज हैं.
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सबसे ज्यादा रोचक केशव प्रसाद मौर्य के ट्विटर हैंडल पर हुआ डिलीशन है. दीप्ति की मांग पर केशव ने कुछ ही देर बाद नेतृत्व परिवर्तन की मांग को अनुशासनहीनता करार दिया था. फिलहाल यह ट्वीट अब उनके हैंडल से डिलीट हो चुका है.