नई दिल्लीः पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लागातार हो रही बढ़ोतरी का कांग्रेस और विपक्षी दल जमकर विरोध कर रहे हैं. इसके विरोध में बीते सोमवार को कांग्रेस ने भारत बंद के दौरान दिल्ली समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन किया. पेट्रोल-डीजल की दरों में रोजाना बदलाव के खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी जिसको कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पेट्रोल-डीजल के दामों में रोजाना हो रही बढ़ोत्तरी केन्द्र सरकार का ‘आर्थिक नीतिगत निर्णय’ है और अदालत को इसमें नहीं पड़ना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ ने स्पष्ट किया कि वह सरकार के निर्णय पर हस्तक्षेप के लिए तैयार नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि,‘‘ इससे बड़े आर्थिक मुद्दे’’ जुड़े हैं.
अदालत ने कहा, ‘‘यह सरकार की आर्थिक नीति का मामला है. इससे बड़े आर्थिक मुद्दे हैं. अदालत को इससे अलग रहना चाहिए. सरकार को ऐसा (उचित मूल्य निर्धारित करना) कर सकती है. हम उन्हें ऐसा करने के लिए निर्देश नहीं दे सकते.’’
आपको बता दें, इस याचिका को दिल्ली निवासी पूजा महाजन ने दायर किया है. महाजन ने अदालत से केंद्र सरकार को यह निर्देश देने को कहा है कि वह पेट्रोल-डीजल को जरूरी चीज माने और पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स के लिए उचित कीमत तय करें.
ये भी पढ़ें- पेट्रोल की आग में जल रही बीजेपी, कांग्रेस सेंक रही हाथ
इसके साथ ही ऐडवोकेट ए मैत्री के द्वारा दायर की गई याचिका में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया गया है कि, सरकार ने तेल उत्पादन कंपनियों (ओएमसी) को पेट्रोल-डीजल की कीमतें मनमाने ढंग से बढ़ाने की परोक्ष रूप से मंजूरी दे रखी है. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि सरकार पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स की बढ़ती कीमतों को कच्चे तेल की दर में ग्लोबल स्तर पर बढ़ोतरी से जोड़कर भ्रामक जानकारी फैला रही है, क्योंकि जब कच्चे तेल की कीमत कम थी तब पेट्रोल-डीजल की कीमत कम नहीं हुईं.
याचिकाकर्ता ने बताया कि, उनके द्वारा जुलाई में भी इसी तरह की याचिका लगाई गई थी और अदालत ने उसका निबटारा करते हुए केंद्र से कहा था कि वह इसे एक रिप्रजेंटेशन माने और फैसला ले, चूंकि सरकार ने उनकी रिप्रजेंटेशन पर आज तक भी कोई फैसला नहीं लिया है इसलिए उन्होंने यह याचिका दायर की.