राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का कंट्रोल चुनी हुई सरकार के हाथ में होगा। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली सरकार और राज्यपाल के बीच चल रहे अधिकारों की लंबी लड़ाई पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली में सिविल सर्वेंट्स के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार पर आप सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय खंडपीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया। आदेश पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि दिल्ली विधानसभा के सदस्य, दूसरी विधानसभाओं की तरह सीधे लोगों की तरफ से चुने जाते हैं। लोकतंत्र और संघीय ढांचे के सम्मान को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। ऐसे में दिल्ली में चुनी हुई सरकार के पास अधिकार होना चाहिए।
Supreme Court rules in favour of the Delhi government over control on administrative services in the national capital and holds that it must have control over bureaucrats.
SC holds legislative power over services exclude public order, police and land. pic.twitter.com/MbINqoYPNl
— ANI (@ANI) May 11, 2023
फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि हम जस्टिस भूषण के 2019 के फैसले से सहमत नहीं हैं, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार के पास ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर से ऊपर के अफसरों पर कोई अधिकार नहीं है। सीजेआई ने कहा कि हम सभी जज इस बात से सहमत हैं भले ही NCTD पूर्ण राज्य ना हो, लेकिन इसके पास भी ऐसे अधिकार हैं कि वह कानून बना सकता है।
देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों के पास कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाए कि केंद्र का इतना ज्यादा दखल ना हो कि वह राज्य सरकार का काम अपने हाथ में ले ले। इससे संघीय ढांचा प्रभावित होगा। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 239AA दिल्ली विधानसभा को कई शक्तियां देता है, लेकिन केंद्र के साथ संतुलन बनाया गया है। संसद को भी दिल्ली के मामलों में शक्ति हासिल है।
दिल्ली में सीएम और राज्यपाल के बीच जारी अधिकारों की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया। इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल रहे। पीठ ने प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से फैसला दिया।